National Ayurveda Day 2019: कार्तिक मास के पांच दिवसीय पर्वों (दीपावाली) की श्रृंखला की शुरूआत धनतेरस (Dhanteras) से होती है. सैकड़ों सालों से चली आ रही, इस परंपरा के अनुसार इस दिन नये स्वर्ण आभूषण एवं पीतल के बर्तन आदि खरीदे जाते हैं. सायंकाल के समय भगवान धन्वंतरी (Lord Dhanvantari) की पूजा-अर्चना की जाती है और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक प्रज्जवलित करके रखा जाता है. इस तरह इस दिन को दीवाली (Diwali) की शुरूआत के रूप में भी देखा जाता है, लेकिन पिछले चार सालों से धनतेरस के ही दिन ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ मनाने की परंपरा भी शुरू हुई. सनातन धर्म में भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है. इसीलिए धनतेरस के दिन ही इस दिवस विशेष को मनाया जाता है. इस वर्ष 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जायेगा.
कौन है भगवान धन्वंतरी?
भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरी के हाथों में कलश था. भगवान धन्वंतरि को देवताओं के वैद्य थे. इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जिनकी चार भुजाएं हैं. ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख एवं चक्र तथा नीचे के दोनों भुजाओं में जलूका और औषधि तथा अमृत कलश धारण किये हुए हैं. भगवान धन्वंतरि का प्रिय धातु पीला माना जाता है, इसीलिए इस दिन पीले रंग के धातुओं (स्वर्ण अथवा पीतल) के सामान खरीदने की परंपरा निभाई जाती है. मान्यता है कि इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी. कालांतर में इन्हीं के वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया, जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे. यह भी पढ़ें: Dhanteras 2019: धनतेरस पर होती है लक्ष्मी-कुबेर की पूजा, जानिए दिवाली से पहले मनाए जाने वाले इस पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
इस तरह हुई शुरूआत
28 अक्टूबर 2016 को केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ (National Ayurveda Day) मनाने की घोषणा की गयी थी. यह दिवस विशेष हर साल धन्वंतरि जयंती यानी धनतेरस के दिन ही मनाया जाता है. दरअसल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल हमारे देश में ऋषि-मुनियों के जमाने से होता आ रहा है. हमारे तमाम धर्म शास्त्रों एवं वेद-पुराणों में इसकी व्याख्या और उपयोगिता पर काफी कुछ उल्लेखित है. जोखिम रहित और सटीक उपचार होने के कारण इस पद्धति की लोकप्रियता शीघ्र ही सात समंदर पार तक पहुंच गयी. आज इस चिकित्सा सुविधा का लाभ हमारे देश की तुलना में विदेशों में ज्यादा लिया जा रहा है, इसीलिए अब इस चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुरूआत भारत में हुई.
इस दिवस विशेष की शुरूआत एक थीम पर की गयी थी, जिसका विषय था, 'आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह पर नियंत्रण'. इसके लिए पूरे देश में ‘मिशन मधुमेह’ एक विशेष परिकल्पित राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल लागू किया गया. कई राज्य सरकारों के आयुष विभागों द्वारा इस संबंध में तमाम सक्रिय योजनाएं क्रियान्वित की गयीं. मधुमेह के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर, सार्वजनिक व्याख्यान, मधुमेह के रोगियों के लिए मुफ्त आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं जैसे कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई. यह भी पढ़ें: Happy Dhanteras 2019 Wishes: धनतेरस के शुभ अवसर पर इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Greetings, GIF, Wallpapers और SMS के जरिए अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को दें शुभकामनाएं
उद्देश्यः आयुर्वेद उद्योग एवं उपचार को बढ़ावा
आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ, लेकिन इस चिकित्सा पद्धति का लाभ भारत से ज्यादा विदेशों में लिया जाता है. भारत में ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद चिकित्सा की जोखिम रहित और सटीक उपचार को जन-जन तक पहुंचाना है. इस दिवस विशेष पर आयुष मंत्रालय द्वारा देश भर में आयुर्वेद से संबंधित तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. पिछले वर्ष इसी दिन आयुष स्वास्थ्य प्रणाली का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रिकॉर्ड रखने के लिए आयुष-स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली (ए-एचएमआईएस) के नाम से एक समर्पित सॉफ्टवेयर ऐप्लीकेशन लांच किया गया था. इस तरह प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर ‘आयुर्वेद में उद्यमिता और व्यापार विकास’ पर जगह-जगह संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है ताकि आयुर्वेद से संबद्ध हितधारकों एवं व्यवसायियों को कारोबार के नये अवसरों के प्रति जागरुक किया जा सके.