Datta Jayanti 2024 Wishes: हैप्पी दत्त जयंती! प्रियजनों संग शेयर करें ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images और Wallpapers
ऐसी मान्यता है कि दत्त भगवान की 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उन्हीं के नाम से दत्त संप्रदाय का उदय हुआ, इसलिए दत्त संप्रदाय द्वारा इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी दत्त जयंती कह सकते हैं.
Datta Jayanti 2024 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास का विशेष महत्व बताया जाता है, इस महीने श्रीकृष्ण और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय (Bhagwan Dattatreya) का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti) और दत्त जयंती (Datta Jayanti) के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस साल 14 दिसंबर 2024 को दत्त जयंती मनाई जा रही है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था, इसलिए इस पावन तिथि पर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. उन्हें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है, इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा करने से त्रिदेवों का संयुक्त रूप से आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
दत्त जयंती के पर्व को महाराष्ट्र के अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि दत्त भगवान को 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उन्हीं के नाम से दत्त संप्रदाय का उदय हुआ, इसलिए दत्त संप्रदाय द्वारा इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें हैप्पी दत्त जयंती कह सकते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और माता अनुसुइया के पुत्र हैं. कहा जाता है कि माता अनुसुइया ने कठोर तप करके ऐसे पुत्र की कामना की, जिसमें त्रिदेवों के अंश समाहित हो. उनकी तपस्या को देखते हुए त्रिदेवियों ने त्रिदेवों से माता अनुसुइया के सतीस्व की परीक्षा लेने का आग्रह किया, जिसके बाद त्रिदेव साधु का वेश धारण करके माता अनुसुइया के पास पहुंचे. माता अनुसुइया ने तीनों साधुओं पर कमंडल का जल छिड़क दिया, जिसके चलते तीनों बाल स्वरूप में आ गए.
बताया जाता है कि त्रिदेवों के बाल स्वरूप में आने के बाद माता अनुसुइया ने एक मां की तरह तीनों बालकों को स्तनपान कराया, तभी वहां अत्रि ऋषि पहुंचे और उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से सब देख लिया. इसके बाद उन्होंने बाल स्वरूप त्रिदेवों को अपनी शक्ति से एकत्रित करते हुए एक बालक बना दिया, जिसका नाम उन्होंने दत्तात्रेय रखा. भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के अंश हैं, इसलिए उनके तीन सिर और छह भुजाएं हैं. श्वान उनका वाहन है और उनका प्रिय दिन गुरुवार है.