Choti Diwali 2023: क्या है रूप चतुर्दशी? जब अकाल-मृत्यु के भय से मुक्ति तथा सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है!
यूं तो रूप चतुर्दशी का यह पर्व स्त्री पुरुष दोनों मनाते हैं, लेकिन इस पर्व में महिलाएं ज्यादा रूझान रखती हैं. क्योंकि इस दिन कुछ उपाय करके हम अपने सौंदर्य और सौभाग्य में वृद्धि कर सकते हैं. रूप चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हल्दी, चंदन, बेसन, शहद, दूध के मिश्रण का उबटन लगाएं.
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जहां मृत्यु के देवता यमराज को दीप दान कर घर-परिवार अकाल भय से मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है, वहीं रूप चतुर्दशी का दिन सौंदर्य एवं सौभाग्य में भी वृद्धि करने वाला दिन भी बताया जाता है. इस वर्ष रूप चतुर्दशी (छोटी दिवाली) का पर्व 11 नवंबर 2023, शनिवार को मनाया जाएगा. यहां हम रूप चतुर्दशी के महात्म्य से लेकर अभ्यंग स्नान की बात भी करेंगे.. Choti Diwali 2023 Wishes: छोटी दिवाली की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Photo SMS के जरिए दें शुभकामनाएं
सौंदर्य और सौभाग्य के लिए कब और कैसे करें अभ्यंग स्नान
यूं तो रूप चतुर्दशी का यह पर्व स्त्री पुरुष दोनों मनाते हैं, लेकिन इस पर्व में महिलाएं ज्यादा रूझान रखती हैं. क्योंकि इस दिन कुछ उपाय करके हम अपने सौंदर्य और सौभाग्य में वृद्धि कर सकते हैं. रूप चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हल्दी, चंदन, बेसन, शहद, दूध के मिश्रण का उबटन लगाएं. अगर यह लेप आसानी से उपलब्ध नहीं हो तो शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें, इसके बाद किसी पवित्र नदी अथवा घर के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाकर स्नान करें. मान्यता है छोटी दिवाली के दिन पूर्ण विधि-विधान से अभ्यंग स्नान करने से सौंदर्य के साथ-साथ सौभाग्य की वृद्धि होती है
अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त
अभ्यंग स्नान के लिए उदया तिथि ही मान्य होगा, इसलिए नरक चतुर्दशी का स्नान 12 नवंबर 2023 को किया जाएगा. इसका मुहूर्त निम्नवत है.
अभ्यंग स्नान मुहूर्तः 05.39 AM से 06.52 AM तक है. यानी शुभ मुहूर्त में स्नान के लिए 01 घंटा 13 मिनट का समय है.
यम को दीप-दान से अकाल-मृत्यु का भय दूर होता है
पौराणिक कथाओं के अनुसार छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) पर मृत्यु के देवता यमराज को दीप-दान करने से वह प्रसन्न होते हैं, और उनकी कृपा से जातक एवं उसके परिवार को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. यह दीपदान प्रदोष काल में होता है. इसलिए यह पर्व 11 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा. प्रदोष काल में चौमुखा दीपक में सरसों तेल और बत्ती लगाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में नाली के पास रखकर दीप प्रज्वलित करते हैं. मान्यता अनुसार दीप रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखते.
यमराज को दीपदान का मुहूर्तः इस दिन सूर्यास्त 05.32 PM (11 नवंबर 2023) पर होगा.