Chhatrapati Sambhaji Maharaj Rajyabhishek Din Wishes 2023: छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की गाथाएं दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं, लेकिन छत्रपति शिवाजी की तरह उनके पुत्र छत्रपति संभाजी (Chhatrapati Sambhaji) ने भी अपना जीवन देश और हिंदू धर्म के लिए समर्पित कर दिया, यह बहुत कम लोग जानते हैं. छत्रपति संभाजी बचपन से ही छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ युद्ध के मैदान में रहकर युद्ध कला के साथ-साथ कूटनीति में भी पारंगत थे. यही कारण है कि छत्रपति संभाजी महाराज ने मुगल बादशाह औरंगजेब से करीब 120 युद्ध लड़े और हर लड़ाई में औरंगजेब को हार का सामना करना पड़ा. छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद छत्रपति संभाजी महाराज का राज्याभिषेक आज ही के दिन 16 जनवरी को हुआ था. यह भी पढ़ें: Chhatrapati Sambhaji Maharaj Rajyabhishek Din: आज ही के दिन हुआ था छत्रपती संभाजी महाराज का राज्याभिषेक! जिनके शौर्य का प्रशंसक था उनका हत्यारा औरंगजेब
छत्रपति संभाजी राजे का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर दुर्ग (पुणे) में छत्रपति शिवाजी महाराज की दूसरी पत्नी सईबाई के यहाँ हुआ था. छत्रपति संभाजी की माता की मृत्यु तब हुई जब वे केवल दो वर्ष के थे. उनका पालन-पोषण उनकी दादी जीजाबाई ने किया. माना जाता है कि दादी जीजाबाई ने संभाजी में वीरता और पराक्रम के बीज बोए थे.
1680 में छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, उनकी तीसरी पत्नी सोयराबाई के पुत्र राजाराम को सिंहासन पर बिठाया गया. उस समय छत्रपति संभाजी महाराज पन्हाला में कैद थे. जैसे ही छत्रपति संभाजी को राजाराम के राज्याभिषेक का समाचार मिला, उन्होंने पन्हाला के किले के किलेदार को मार डाला और किले पर कब्जा कर लिया. इसके बाद 18 जून 1680 को छत्रपति संभाजी ने रायगढ़ किले पर भी कब्जा कर लिया. राजाराम, उनकी पत्नी जानकी और मां सोयराबाई को गिरफ्तार कर लिया गया. 16 जनवरी 1681 को छत्रपति संभाजी का भव्य राज्याभिषेक महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में हुआ. महाराष्ट्र में संभाजी के राज्याभिषेक का दिन बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन को लोग ग्रीटिंग्स भेजकर संभाजी के पराक्रम को याद करते हैं.
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छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद मुगल बादशाह औरंगजेब को लगा कि वह अब आसानी से रायगढ़ किले पर कब्जा कर लेगा. लेकिन जब छत्रपति संभाजी महाराज रायगढ़ की सत्ता में आए, जब औरंगजेब ने रायगढ़ पर हमला किया, तो उन्हें छत्रपति संभाजी ने हरा दिया. छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा बार-बार हारने के बाद, सम्राट औरंगज़ेब ने शपथ ली कि जब तक वह संभाजी को गिरफ्तार नहीं कर लेगा, तब तक वो अपने सिर पर फेटा नहीं बांधेगा.
छत्रपति संभाजी महाराज के साले ने उन्हें धोखा दिया. वह जाकर मुगलों में शामिल हो गया. जिस समय छत्रपति संभाजी महाराज और उनके मित्र केशव राजनीतिक कार्यों से संगमेश्वर से रायगढ़ लौट रहे थे, उसी समय संभाजी से नाराज औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को अपनी हिरासत में लेकर क्रूरता और अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी. उनकी जीभ काट दी गई और उनकी आंखें निकाल ली गईं.