Chhath Puja 2022 Nahay-Khay Wishes: छठ पूजा नहाय-खाय की दें शुभकामनाएं, भेजें ये WhatsApp Stickers, GIF Greetings और HD Images
छठ पूजा का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. अब जब नहाय-खाय के साथ छठ का महापर्व शुरु हो गया है तो ऐसे में प्रियजनों को बधाई देना तो बनता है. ऐसे में आप इस अवसर पर छठ पूजा नहाय-खाय के इन विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Chhath Puja 2022 Nahay-Khay Wishes: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) को धूमधाम से मनाए जाने के बाद लोग लोक आस्था के पर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की तैयारियों में जुट जाते हैं. छठ पूजा के त्योहार को मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. आज यानी 28 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व की शुरुआत हो गई है. सूर्य की उपासना के इस पर्व को साल में दो बार चैत्र शुक्ल षष्ठी और कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है, लेकिन कार्तिक महीने में पड़ने वाले छठ पर्व का विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि सूर्य देव और छठ मैया की उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
छठ पूजा का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. अब जब नहाय-खाय के साथ छठ का महापर्व शुरु हो गया है तो ऐसे में प्रियजनों को बधाई देना तो बनता है. ऐसे में आप इस अवसर पर छठ पूजा नहाय-खाय के इन विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
छठ पूजा नहाय-खाय 2022
छठ पूजा नहाय-खाय 2022
छठ पूजा नहाय-खाय 2022
छठ पूजा नहाय-खाय 2022
छठ पूजा नहाय-खाय 2022
गौरतलब है कि नहाय-खाय चार दिवसीय छठ महापर्व का पहला दिन होता है, जिसमें स्नान करके नए वस्त्र धारण किए जाते हं और शाकाहारी भोजन किया जाता है. इसके अगले दिन व्रती निर्जल व्रत रखते हैं और शाम के समय गुड़ व चावल से बनी खीर खाते हैं, जिसे खरना कहा जाता है. इस महापर्व के तीसरे दिन निर्जल व्रत रखकर शाम को किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, फिर अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत को पूर्ण किया जाता है.