Birsa Munda Jayanti 2024 Greetings: आदिवासी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर ये HD Wallpapers और HD Images भेजकर करें याद

बिरसा मुंडा (Birsa Munda) एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे, जिनकी उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में सक्रियता की भावना को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ एक मज़बूत विरोध के रूप में याद किया जाता है. बिहार और झारखंड के आस-पास के आदिवासी इलाकों में जन्मे और पले-बढ़े बिरसा मुंडा की उपलब्धियां इस तथ्य के कारण और भी उल्लेखनीय मानी जाती हैं कि उन्होंने 25 साल की उम्र से पहले ही ये उपलब्धियां हासिल कर ली थीं..

Birsa Munda Jayanti 2024 (Photo Credits: File Image)

Birsa Munda Jayanti 2024 Greetings: बिरसा मुंडा (Birsa Munda) एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे, जिनकी उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में सक्रियता की भावना को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ एक मज़बूत विरोध के रूप में याद किया जाता है. बिहार और झारखंड के आस-पास के आदिवासी इलाकों में जन्मे और पले-बढ़े बिरसा मुंडा की उपलब्धियां इस तथ्य के कारण और भी उल्लेखनीय मानी जाती हैं कि उन्होंने 25 साल की उम्र से पहले ही ये उपलब्धियां हासिल कर ली थीं. राष्ट्रीय आंदोलन पर उनके प्रभाव को मान्यता देते हुए, झारखंड राज्य का निर्माण उनकी जयंती पर 2000 में किया गया था.

15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा ने अपना ज़्यादातर बचपन अपने माता-पिता के साथ एक गाँव से दूसरे गाँव में घूमते हुए बिताया. वे छोटानागपुर पठार क्षेत्र में मुंडा जनजाति से थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने शिक्षक जयपाल नाग के मार्गदर्शन में सालगा में प्राप्त की. जयपाल नाग की सिफारिश पर, बिरसा ने जर्मन मिशन स्कूल में शामिल होने के लिए ईसाई धर्म अपना लिया. हालांकि, उन्होंने कुछ वर्षों के बाद स्कूल छोड़ दिया.

बिरसा मुंडा जयंती की बधाई

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बिरसा मुंडा जयंती की शुभकामनाएं

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बिरसा मुंडा जयंती की हार्दिक बधाई

Birsa Munda Jayanti 2024 (Photo Credits: File Image)

हैप्पी बिरसा मुंडा जयंती

Birsa Munda Jayanti 2024 (Photo Credits: File Image)

बिरसा मुंडा जयंती 2024

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धरती आबा बिरसा मुंडा जयंती की बधाई

Birsa Munda Jayanti 2024 (Photo Credits: File Image)

जिस तरह से वे बाद में धर्म से जुड़े, उसमें ईसाई धर्म का प्रभाव महसूस किया गया. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासक और मिशनरियों द्वारा आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के प्रयासों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद, बिरसा ने ‘बिरसाइत’ धर्म की शुरुआत की. जल्द ही मुंडा और उरांव समुदाय के लोग बिरसाइत संप्रदाय में शामिल होने लगे और यह ब्रिटिश धर्मांतरण गतिविधियों के लिए एक चुनौती बन गया.

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