Basant Panchami 2020: सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में खास बना बसंत पंचमी! 30 नहीं 29 जनवरी को मनाएं ये त्योहार, जानें क्यों?
इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि को लेकर विभिन्न पंचांगों में मतभेद है. कहीं 29 जनवरी को बसंत पंचमी मनाने की चर्चा है तो कहीं 30 जनवरी को. हमारे ज्योतिषाचार्य के अनुसार पंचमी 29 जनवरी (बुधवार) की प्रातःकाल 10.46 बजे शुरू होकर 30 जनवरी (गुरुवार) को दोपहर 1.20 मिनट तक रहेगा. धार्मिक ग्रंथों विशेषकर वराह पुराण के अनुसार चतुर्थी तिथि विद्या पंचमी होने के कारण 29 जनवरी को ही बसंत पंचमी मनाना श्रेयस्कर होगा.
Basant Panchami 2020: इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि को लेकर विभिन्न पंचांगों में मतभेद है. कहीं 29 जनवरी को बसंत पंचमी मनाने की चर्चा है तो कहीं 30 जनवरी को. हमारे ज्योतिषाचार्य के अनुसार पंचमी 29 जनवरी (बुधवार) की प्रातःकाल 10.46 बजे शुरू होकर 30 जनवरी (गुरुवार) को दोपहर 1.20 मिनट तक रहेगा. धार्मिक ग्रंथों विशेषकर वराह पुराण के अनुसार चतुर्थी तिथि विद्या पंचमी होने के कारण 29 जनवरी को ही बसंत पंचमी मनाना श्रेयस्कर होगा. वैसे भी इस वर्ष बसंत पंचमी पर दो विशेष संयोग बन रहे हैं, यह संयोग भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए खुशहाली का संकेत है. आइए जानें कैसे बन रहे हैं ये सुखद संयोग साथ ही और भी महत्वपूर्ण बातें बसंत पंचमी के संदर्भ में..
ग्रहों, राशि एवं तिथियों का तालमेल
ज्योतिषाचार्य पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष बसंत पंचमी दो सुखद संयोगों के कारण बहुत श्रेष्ठ बन रहा है. कई वर्षों के बाद ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति बसंत पंचमी की तिथि को खास बना रही है. भौगोलिक गतिविधियों के कारण इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में स्थापित रहेंगे. मंगल वृश्चिक में, वृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे. राशियों की यह स्थिति विवाह और अन्य मंगल कार्यों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. गौरतलब है कि बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों में गिना जाता है, लेकिन इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र होने के कारण सिद्धि योग बन रहा है और इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा. दोनों योग के कारण बसंत पंचमी का पर्व ज्यादा शुभ हो जाता है.
योग के संयोग कैसे निर्मित होते है
सिद्धि योग:
दिन, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित होने पर सिद्धि योग बनता है. मसलन सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई एक भी नक्षत्र हो तो वह तिथि सिद्धि योग बन जाती है.
सर्वार्थ सिद्धि योग:
यह बहुत ही शुभ योग है, जिसका संयोग मुश्किल से बनता है. यह दिन और नक्षत्र के सामंजस्य से बननेवाला अद्भुत योग होता है. अगर यह योग गुरुवार और शुक्रवार को बनता है तो तिथि कोई भी हो, यह योग का प्रभाव प्रभावित नहीं होता है.
इस वजह से बसंत पंचमी बन रहा है शुभ दिवस
बसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है. इसी वजह से बसंत पंचमी को अति शुभ दिन माना जा रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार इस शुभ संयोग में वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत जैसे संस्कारों के लिए शुभ माना जा रहा है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की वंदना के साथ विवाह के लिए भी शुभ मुहूर्त बन रहे हैं.
शुभ योग में ऐसे करें मां शारदा की वंदना
बसंत पंचमी के दिन पीला, बसंती अथवा सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. मां शारदा की पूजा शुरू करने से पूर्व यह अवश्य देख लें कि आप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करेंगे. तत्पश्चात पीला आसन बिछाकर उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल अर्पित करने के साथ ही पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का भोग लगायें. ध्यान रहे काले अथवा नीले रंग के वस्त्र हरगिज नहीं पहनें.
मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले अथवा सफेद पुष्प चढ़ाएं और निम्न मंत्र का उच्चारण करें.
ऐं सरस्वत्यै नम:
माँ सरस्वती के 11 नामों का जप करें
संभव हो तो माँ सरस्वती की पूजा करते समय उनके 11 नामों का 11-11 बार जप करें. इससे हर असंभव कार्य संभव हो जाते हैं
जय मां शारदा, जय मां सरस्वती, जय मां भारती, जय मां वीणावादिनी, जय मां बुद्धिदायिनी, जय मां हंससुवाहिनी, जय मां वागीश्वरी, जय मां कौमुदीप्रयुक्ता, जय मां जगत ख्यात्वा, जय मां नमो चंद्रकांता, जय मां भुवनेश्वरी