Balasaheb Thackeray Birth Anniversary 2020: बाल ठाकरे की 94वीं जयंती आज, जानिए शिवसेना के संस्थापक के जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से
बाल केशव ठाकरे यानी बाला साहेब ठाकरे देश के विवादित नेता के तौर पर जाने जाते थे. उनके अनुयायी उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहकर संबोधित करते थे. आज बाल ठाकरे की 94वीं जयंती मनाई जा रही है. उनका जन्म 23 जनवरी 1947 को हुआ था. उनके जीवन से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं जो उन्हें दूसरों से अलग और खास बनाते हैं.
Balasaheb Thackeray 94th Birth Anniversary: बाल केशव ठाकरे (Bal Keshav Thackeray) यानी बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) देश के विवादित नेता के तौर पर जाने जाते थे. उनके अनुयायी उन्हें हिंदू हृदय सम्राट (Hindu Hruday Samrat) कहकर संबोधित करते थे. आज बाल ठाकरे की 94वीं जयंती (94th Birth Anniversary of Bal Thackeray) मनाई जा रही है. उनका जन्म 23 जनवरी 1947 को हुआ था. शिवसेना के संस्थापक (Founder of Shiv Sena) बाल ठाकरे ने मुंबई के दैनिक अखबार में एक कार्टूनिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन जल्द ही उस नौकरी को छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने राजनीतिक साप्ताहिक मार्मिक (Marmik) की शुरुआत की. मार्मिक के माध्यम से ठाकर ने बंबई (मुंबई) में गैर-मराठियों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ अभियान चलाया. साल 1966 में मार्मिक की सफलता ने बाल ठाकरे को शिवसेना पार्टी की स्थापना के लिए प्रेरित किया.
शिवसेना की स्थापना के समय ही उन्होंने कहा था कि शिवसेना एक राजनीतिक पार्टी नहीं है, बल्कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना है. बाला साहेब ठाकरे और हिंदू हृदय सम्राट के रूप में जाने जाने वाले ठाकरे ने करीब चार दशकों तक मुंबई पर राज किया, लेकिन कभी उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से कोई चुनाव नहीं लड़ा. चलिए बाल ठाकरे की 94वीं जयंती के इस खास मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से (Interesting Facts About Bal Thackeray).
1- राजनीतिज्ञ बनने से पहले बाल ठाकरे एक मशहूर क्रांतिकारी कार्टूनिस्ट थे. साल 1950 के आसपास टाइम्स ऑफ इंडिया के संडे एडिशन में उनके कार्टून छपते थे.
2- बाल ठाकरे चांदी के सिंहासन पर बैठने के शौकीन थे. वो एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके दरबार में सिर्फ उनके समर्थक ही नहीं, बल्कि विरोधी भी हाजिरी लगाते थे.
3- बाल ठाकरे की खासियत यह थी कि वे जब किसी का विरोध करते थे तो बिल्कुल दुश्मन की तरह, लेकिन जब किसी की तारीफ करते थे तो ऐसा लगता था जैसे उनसे बड़ा कोई दोस्त ही नहीं है.
4- उन्होंने 19 जून 1966 को अपने दोस्तों के साथ मिलकर शिवाजी पार्क में नारियल फोड़कर शिवसेना का गठन किया था. वे बिना देखे भाषण दिया करते थे और उन्हें सुनने के लिए लाखों की भीड़ इकट्ठा होती थी.
5- बाल ठाकरे एक ऐसी शख्सियत थे, जो कभी किसी से मिलने के लिए नहीं गए. जिसे मिलना होता था वह खुद उनके पास पहुंचता था. कई दिग्गज हस्तियां उनसे मिलने के लिए खुद मुंबई स्थित उनके निवास मातोश्री पहुंचते थीं.
6- साल 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद बाल ठाकरे आप की अदालत शो में पहुंचे, जहां उनसे सवाल किया गया था कि सुना है ये काम शिव सैनिकों ने किया है. इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि अगर यह काम शिव सैनिकों ने किया है तो यह गर्व की बात है.
7- बाल ठाकरे की शख्सियत की तरह उनके शौक भी खास किस्म के हुआ करते थे. उन्हें सिगार और व्हाइट वाइन का शौक था. उनके ज्यादातर इंटरव्यू और फोटोज में उनके हाथ में सिगार नजर आती थी. आखिरी दम तक उन्होंने सिगार का और सिगार ने उनका साथ नहीं छोड़ा.
8- साल 1999 में बाल ठाकरे पर 6 साल तक मतदान करने और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि उन्होंने अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है. यह भी पढ़ें: Balasaheb Thackeray 7th Death Anniversary: आज ही के दिन बालासाहेब ठाकरे छोड़ गए थे दुनिया, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
9- बाल ठाकरे क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन को बहुत पसंद करते थे, लेकिन एक बार जब सचिन ने यह बयान दिया कि महाराष्ट्र पर पूरे भारत का हक है तब ठाकरे ने उन्हें आडे़ हाथों ले लिया और कहा कि वह क्रिकेट के पिच पर ही रहें, राजनीति का खेल हमें खेलने दें.
10- सोनिया गांधी की राजनीति में उपस्थिति की आलोचना करते हुए ठाकरे ने कहा था कि सोनिया गांधी देश पर राज करें, इससे तो बेहतर होगा कि देश को फिर से अंग्रेजी हुकूमत को सौंप दिया जाए. उन्होंने कहा था कि मैं150 साल तक देश पर राज करने का अनुभव रखने वाले अंग्रेजों को सत्ता सौंपना ज्यादा पसंद करूंगा.
11- 29 जनवरी 2007 को उन्होंने हिटलर के साथ अपनी तुलना किए जाने पर रुख साफ करते हुए कहा कि हिटलर ने बहुत क्रूर और बदसूरत चीजें की, लेकिन वह एक कलाकार था, उसकी कला के लिए मैं उसे पसंद करता हूं. उसके पास अपने साथ भीड़ को ले जाने की शक्ति थी. यहूदियों की हत्या करना गलता था, लेकिन वह एक कलाकार और साहसी व्यक्ति था. उसके पास अच्छे और बुरे दोनों गुण थे, उसी तरह मेरे पास भी अच्छे और बुरे गुण दोनों हो सकते हैं.
12- 17 नवंबर 2012 को बाल ठाकरे इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर चले गए. उस दिन पूरी मुंबई बंद थी और उनकी अंतिम यात्रा में करीब 5 लाख लोग शामिल हुए थे. उनके निधन के बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई थी.
गौरतलब है कि बाल ठाकरे के स्वभाविक वारिस के तौर पर लोग उनके बेटे उद्धव ठाकरे की जगह भतीजे राज ठाकरे को देखते थे. लोगों को उम्मीद भी थी कि ठाकरे अपने पार्टी की बागडोर राज ठाकरे को ही सौपेंगे, लेकिन हुआ इसके विपरित. उन्होंने अपने बेटे को वारिस के तौर पर चुना, जिसके बाद राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम की पार्टी बना ली.