Bakrid Mubarak 2024 Messages: बकरीद मुबारक! ईद-उल-अजहा के इन हिंदी Shayaris, WhatsApp Wishes, GIF Greetings को भेजकर दें बधाई
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के दिन आर्थिक रूप से स्थिर मुसलमान बकरे की बलि देते हैं और कुर्बानी के मांस को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और गरीबों में बांटते हैं. इस दिन सुबह के समय लोग मस्जिद में नमाज अदा करके एक-दूसरे को गले लगाते हैं और फिर ईद मुबारक कहते हैं. इस अवसर पर आप भी इन शानदार हिंदी मैसेजेस, शायरजी, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्ल को भेजकर अपनों को बकरीद मुबारक कह सकते हैं.
Bakrid Mubarak 2024 Messages in Hindi: रमजान ईद (Ramzan Eid) यानी मीठी ईद (Meethi Eid) मनाए जाने के करीब 2 महीने बाद दुनिया भर के मुसलमान बकरीद का त्योहार मनाते हैं. बकरीद के त्योहार को पैगंबर हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति समर्पण को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है, जिसे ईद-उल-अजहा (Eid-al-Adha), बकरा ईद (Bakra Eid) और कुर्बानी ईद (Qurbani Eid) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जाह की 10वीं तारीख को बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाता है. इस साल 17 जून 2024, सोमवार को बकरीद मनाई जा रही है. इस दिन को कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है और बकरे सहित कुछ अन्य जानवरों की बलि दी जाती है. इस पर्व को पैगंबर हजरत इब्राहिम के त्याग और बलिदान के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए मनाया जाता है.
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद के दिन आर्थिक रूप से स्थिर मुसलमान बकरे की बलि देते हैं और कुर्बानी के मांस को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और गरीबों में बांटते हैं. इस दिन सुबह के समय लोग मस्जिद में नमाज अदा करके एक-दूसरे को गले लगाते हैं और फिर ईद मुबारक कहते हैं. इस अवसर पर आप भी इन शानदार हिंदी मैसेजेस, शायरजी, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्ल को भेजकर अपनों को बकरीद मुबारक कह सकते हैं.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम को ख्वाब के जरिए अपनी एक प्यारी चीज कुर्बान करने के लिए कहा. वो अपने बेटे को सबसे ज्यादा प्यार करते थे और उनका बेटा ही उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय था. लेकिन अल्लाह की आज्ञा का पालन करने के लिए वो अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए. कुर्बानी के वक्त उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने बेटे की कुर्बानी देने लगे.
हालांकि ऐन वक्त पर अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक बकरे को कुर्बानी में बदल दिया. कुर्बानी के बाद जब पैगंबर हजरत इब्राहिम ने आंखों से पट्टी हटाई तो वो यह देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा इस्माइल सही सलामत है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हो गया है. कहा जाता है कि इसके बाद से ही बकरीद पर कुर्बानी के तौर पर बकरे की बलि देने परंपरा निभाई जा रही है.