Akshaya Tritiya 2020: अक्षय तृतीया पर देव भक्ति व दान-पुण्य से प्राप्त होते हैं अक्षय फल, जानें क्या करें और क्या नहीं
वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय-तृतीया के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन किये गये दान का अक्षय फल प्राप्त होता है. ऐसी भी मान्यता है कि ‘देवउठनी एकादशी’, ‘वसंत पंचमी’ और ‘भड़ली नवमी’ के समान ही ‘अक्षय तृतीया’ का भी विशेष महात्म्य है, क्योंकि ये चारों पर्व साल के 4 अबूझ मुहूर्तों में समान प्रभाव वाले माने जाते हैं.
Akshaya Tritiya 2020: वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन किये गये दान का अक्षय फल प्राप्त होता है. ऐसी भी मान्यता है कि ‘देवउठनी एकादशी’, ‘वसंत पंचमी’ और ‘भड़ली नवमी’ के समान ही ‘अक्षय तृतीया’ का भी विशेष महात्म्य है, क्योंकि ये चारों पर्व साल के 4 अबूझ मुहूर्तों में समान प्रभाव वाले माने जाते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) एवं श्रीहरि (Lord Vishnu) की पूजन का भी विशेष महात्म्य है. लेकिन अक्षय तृतीया को अक्षय पुण्य तभी प्राप्त होता है, जब विधि-विधान के अनुरूप ही पूजा-पाठ अथवा अन्य कार्य किये जाएं. आइये जानें अक्षय तृतीया के दिन क्या करें और क्या न करें.
ऐसा कार्य करें
- इस दिन किये गये दान का अक्षय-पुण्य प्राप्त होता है. अक्षय तृतीया के दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान कर गेहूं, चना, दही, चावल, फ्रूट जूस, जल से भरा कलश और स्वर्ण आदि अवश्य दान करना चाहिए. इसके अलावा छाता एवं जूते-चप्पलों का दान भी करना चाहिए.
- इस दिन श्री रामचरितमानस के अरण्य कांड का पाठ करने से श्रीराम की भक्ति का फल प्राप्त होता है. क्योंकि अरण्य कांड में श्रीराम ऋषियों और महान संतों को दर्शन देकर, जन्म जन्मांतर के पुण्य का फल देते हैं.
- अक्षय तृतीया पर सुख एवं समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी जी की पूरे विधि-विधान से पूजा करना चाहिए. लेकिन पूजा से पूर्व अच्छी तरह स्नान करके नये अथवा स्वच्छ वस्त्र पहनें और जिस कमरे में पूजा कर रहे हों तो उस कमरे की अच्छी तरह सफाई अवश्य करें.
- पितृ-दोष से मुक्ति पाने के लिए 'अक्षत-तृतीया' का दिन बहुत अच्छा माना जाता है. इस दिन पितृगणों के निमित्त दिया गया दान अक्षय होकर पितृगणों को तुष्टि करता है.
- इस दिन साधक हत्थाजोड़ी सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति साधना, अरिष्ट निवारण साधना इत्यादि सम्पन्न करवाकर आजीवन समृद्धिशाली होने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है.
- अक्षय तृतीया के दिन श्रीहरि और माता लक्ष्मी की साथ में पूजा करते हुए लक्ष्मी सूक्त और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें. ऐसा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.
- जो साधक किसी स्थाई रोग अथवा रोगों से ग्रस्त हैं, उन्हें इस दिन राम रक्षा स्त्रोत्र का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है. यह भी पढ़ें: Parshuram Jayanti 2020 Wishes: परशुराम जयंती के शुभ अवसर पर इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Greetings, Wallpapers, Quotes, Photo SMS के जरिए दें प्रियजनों को शुभकामनाएं
ऐसा कार्य न करें
- इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है. पूजा में लक्ष्मी जी को तुलसी पत्ता आवश्यक रूप से चढ़ाया जाता है, लेकिन बिना स्नान किये तुलसी का पता नहीं तोड़ना चाहिए. क्योंकि श्रीहरि को तुलसी बहुत प्रिय है, मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं.
- आज का दिन वैभव लक्ष्मी का दिन होता है, इसलिए इस दिन घर में लड़ाई-झगड़ा, क्लेश, घृणा, द्वेष, वाद-विवाद एवं मुकदमेबाजी इत्यादि से बचें. इससे लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं.
- धर्म के अनुरूप ही कर्म करें. अधार्मिक कार्य करने के बाद किसी भी वस्तु का दान पुण्य फल नहीं देता है.
- इस दिन अगर किसी देवी-देवता अथवा लक्ष्मीजी के नाम का उपवास रखा है तो अक्षय तृतीया के दिन पारण करने के बजाये अगले दिन सूर्योदय के पश्चात ही पारण करें.
- कुछ स्थानों पर अक्षय तृतीया के दिन एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा करना भी वर्जित माना जाता है.
- अक्षय तृतीया के दिन उपनयन संस्कार अथवा जनेऊ-धारण करने का रस्म नहीं करना चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है
- इस दिन नया घर अथवा भूमि खरीदा जाना शुभ और लाभकारी माना जाता है, लेकिन अक्षय तृतीया के दिन नयी भूमि पर गृह निर्माण करवाना शुभ नहीं माना जाता.
- अक्षय तृतीया के दिन पौधे अथवा वृक्षारोपण इत्यादि नहीं करनी चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.