Father's Day 2020: पिता का प्यार बच्चों को बनाता है मजबूत, कोरोना काल में पिता को है आपके प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत

जिंदगी को और खूबसूरत बनाने के आस-पास रिश्तों का घर बनाया जाता है. जहां लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, चाहे वह सुख या दु:ख. लेकिन रिश्ते बनाने से ज्यादा उसे सहेजना और उसे निभाना ज्यादा जरूरी है. उन रिश्तों को सहेजने के लिए ही एक दिन उसके नाम कर देते हैं. ऐसे ही हर साल फादर्स डे (Father's Day) मनाया जाता है.

हैप्पी फादर्स डे 2020 (Photo Credits: File Image)

जिंदगी को और खूबसूरत बनाने के आस-पास रिश्तों का घर बनाया जाता है. जहां लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, चाहे वह सुख या दु:ख. लेकिन रिश्ते बनाने से ज्यादा उसे सहेजना और उसे निभाना ज्यादा जरूरी है. उन रिश्तों को सहेजने के लिए ही एक दिन उसके नाम कर देते हैं. ऐसे ही हर साल फादर्स डे (Father's Day) मनाया जाता है. फादर्स डे जून के तीसरे रविवार को दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है. जिंदगी में जो भी है, उसमें जितना योगदान मां का है उतना ही पिता का भी होता है. पिता के प्यार की कोई सीमा नहीं है और उनका प्यार बच्चों को ताकत देता है और मजबूत बनाता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि पिता अपने बच्चों के लिए कड़ी मेहनत करके उनकी बड़ी इच्छाओं, आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. और कठिन समय के दौरान शांत रहते हैं.

पिता को लेकर यह तथ्‍य है कि ज्यादातर अपने बच्चों के लिए प्यार जताने में पिता रिजर्व होते हैं यानी वह मुखर हो कर नहीं कह पाते और प्यार दिखाने या प्रदर्शित करने में विश्वास नहीं रखते हैं. इसलिए उनके बिना प्रदर्शन और दिखावे वाले प्यार को समझने की जरूरत है और अपने पिता को बहुत अधिक स्नेह, प्यार और देखभाल देने के लिए है. इस साल पूरी दुनिया में COVID-19 महामारी के कारण अधिकतर लोग अपने परिवार के साथ ही हैं और परिवार के साथ हर दिन खास हो जाता है. इसलिए इस बार फादर्स डे का जश्न परिवार के सदस्यों के साथ घर पर होगा.

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पिता के लिए बेटी का साहसिक कदम:

कोरोना महामारी के दौर में भारत में एक ऐसी ही तस्वीर तब सामने आई जब लकडाउन में एक बेटी अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर 1200 किलोमीटर का सफ़र कर बिहार में अपने गांव पहुंची. दरअसल 15 साल की ज्योति के पिता गुड़गांव में ऑटो चलाते थे, लेकिन एक हादसे में घायल हो गए. जिसके बाद ज्योंति पिता की सेवा करने पहुंची. लेकिन लॉकडाउन में सब बंद होने से घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलने से ज्योंति ने हिम्मत दिखाई और पिता को लेकर घर की ओर चल पड़ी. 15 साल की बेटी घायल पिता को अपनी पुरानी सी साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गई. पिता मोहन पासवान का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.

कोविड19 के दौर में पिता को सपोर्ट की जरूरत:

हमारे देश में संयुक्त परिवार की अवधारणा रही है, आज भी देश में बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं, माता-पिता के साथ ही रहते हैं. लेकिन बदलते दौर, आधुनिकता, पढ़ाई और काम की तलाश में बच्चे एक समय के बाद उनसे दूर रहने लगते हैं. इसलिए इस फादर्स डे के जरिए उन्हें दूर या पास रहकर भी उनके योगदान और असिमित प्यार को एक उत्सव के रूप में मना सकते हैं. कोविड19 महामारी में बुजुर्गों का खास खयाल रखना है. ऐसे समय में उन्हें व्यस्त और खुश रखना परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी है. तो वहीं काम पर जाने वाले पिता को भी बच्चों के सपोर्ट की जरूरत है, महामारी के दौर में आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारी य किसी भी तरह के कार्य में लगे पिता अगर काम पर जा रहे हैं उनके इस साहस और समर्पण को सम्मान देने का समय है.

दुनिया में कहां कब मनाया जाता है फादर्स डे:

फादर्स डे पिता का सम्मान, और समाज में उनकी भूमिका के रुप में मनाया जाता है. इस दिन को पहली बार 1909 में मदर्स डे के पूरक के रूप में मनाया गया था. फादर्स डे पर बच्चे अपने पिता के योगदानों को याद करते हैं. फादर्स डे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, चीन, जापान, फिलीपींस, और दक्षिण अफ्रीका जैसे कई देशों में जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. हालांकि, यह दिन रूस में अन्य दिनों की तरह ही 23 फरवरी को मनाया जाता है, जबकि 19 मार्च को स्पेन में, स्विट्जरलैंड में जून के पहले रविवार, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम में जून के दूसरे रविवार को लेबनान, मिस्र, जॉर्डन और में मनाया जाता है. सीरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि में सितंबर के पहले रविवार को मनाया जाता है.

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