Eid Milad-un-Nabi 2022: कब और क्यों मनाते हैं ईद मिलाद-उन-नबी? जानें इस पर्व का महत्व और कैसे करते हैं इसका सेलिब्रेशन?

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे माह से मिलाद उन नबी की शुरुआत हो जाती है, इसके 12वें दिन ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पैगंबर मोहम्मद का जन्म दिन होने के कारण मुसलमान समाज इस पर्व काफी धूमधाम और एहतराम के साथ मनाते हैं.

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Photo Credits: File Image)

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे माह से मिलाद उन नबी की शुरुआत हो जाती है, इसके 12वें दिन ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पैगंबर मोहम्मद का जन्म दिन होने के कारण मुसलमान समाज इस पर्व काफी धूमधाम और एहतराम के साथ मनाते हैं. इस पर्व को ‘ईद-ए-मिलाद’ अथवा ‘बारावफात’ के नाम से भी मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष ईद मिलाद-उन-नबी 9 अक्टूबर 2022, दिन रविवार को मनाया जायेगा. आइये जानें इस पर्व का महत्व, इतिहास एवं इसके मनाने के संदर्भ में विस्तृत जानकारी..

ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व

यह पर्व पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है. इस अवसर पर लोग अपने घरों एवं मस्जिदों को सजाते हैं. रात भर अल्लाह की इबादत करते हैं. घरों एवं मस्जिदों में कुरान पढ़ा जाता है. मुख्य जगहों पर मोहम्मद साहब के मानवता एवं भाईचारा बढ़ाने वाले संदेशों को पढ़ा और सुना जाता है. पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मोत्सव की खुशी में समर्थवान लोग गरीब, फकीरों एवं जरूरतमंदों को आवश्यक दान देते हैं. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ईद मिलाद-उन-नबी के दिन गरीबों को जकात करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं. अल्लाह की कृपा से जकात देने वालों की झोलियां पुनः भर जाती है. यह भी पढ़ें : Air Force Day 2022: भारतीय वायुसेना का 90वां स्थापना दिवस, देखें IAF के गौरवपूर्ण इतिहास की गाथा

कब हुआ था पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 12 तारीख को 571 ईस्वी के दिन पवित्र मक्का शहर में हुआ था. गौरतलब है कि मोहम्मद पैगंबर साहब के जन्म से पूर्व ही उनके पिता अब्दुल्ला की मौत हो गई थी. पैगंबर साहब जब मात्र छह वर्ष के थे उनकी माँ बीबी आमिना की भी मृत्यु हो गई. तब उनकी परवरिश उनके दादा अबू तालिब और चाचा अबू तालिब ने अपने संरक्षण में की थी. मुस्लिम धर्म के अनुसार अल्लाह ताला ने सर्वप्रथम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को ही कुरान अता की थी, जिसे हजरत साहब ने दुनिया के कोने-कोने में प्रसारित किया.

ऐसे करते हैं सेलिब्रेशन!

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर मोहम्मद इस्लाम धर्म के संस्थापक हैं. इसीलिए मुस्लिम समाज इनके जन्म दिन को पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. इस अवसर पर मुसलमान जुलूस निकालते हैं. धार्मिक महफिलों का आयोजन किया जाता है. इस दिन को काफी उरूज के साथ मनाते हैं, साथ ही उनके पैगाम को धार्मिक महफिलों में बताया जाता है और उस पर अमल करने के लिए प्रेरित किया जाता है. लोग अपना ज्यादा वक्त मस्जिदों एवं कुरान की तिलावत करते हैं, इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान देते हैं. ऐसा करने से अल्लाह खुश होते हैं.

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