Diwali 2018: दिवाली पर बन रहा है बहुत ही शुभ संयोग, लक्ष्मी पूजन के दौरान बरतेंगे ये सावधानियां तो होगा धन लाभ
अमावस्या तिथि 7 नवंबर की रात 9 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में इस समय से पूर्व पूजन करना ही शुभ फलदायी होगा. हालांकि इस दिन ग्रहों का ऐसा मेल भी बन रहा है जिसे शुभ संयोग माना जा रहा है, लेकिन दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के पूजन के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी भी आवश्यक है.
Diwali 2018: भगवान विष्णु का सबसे प्रिय कार्तिक मास चल रहा है और इस महीने की अमावस्या को दीपावली यानी लक्ष्मी पूजन का पर्व मनाया जाता है. आज यानी 7 नवंबर को दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है. घर में सुख-शांति और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए दिवाली की रात में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताए गए नियम के मुताबिक, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शाम के वक्त स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए. इस बार अमावस्या तिथि 6 नवंबर की रात 10 बजकर 27 मिनट से आरंभ हुई है, लेकिन 7 नवंबर यानी आज सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होने के कारण पूरे दिन अमावस्या तिथि का मान रहेगा और इसी दिन दिवाली पूजन किया जाएगा.
अमावस्या तिथि 7 नवंबर की रात 9 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में इस समय से पूर्व पूजन करना ही शुभ फलदायी होगा. हालांकि इस दिन ग्रहों का ऐसा मेल भी बन रहा है जिसे शुभ संयोग माना जा रहा है, लेकिन दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के पूजन के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी भी आवश्यक है.
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर की शाम 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक वृषभ लग्न होगा. ऐसे में स्थिर लग्न होने के कारण गृहस्थों के लिए दिवाली पूजन का यह सबसे उत्तम समय माना जा रहा है. इस शुभ घड़ी में माता लक्ष्मी के साथ गणेश, कुबेर और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए. इसके साथ ही इस रात्रि भगवान शिव के साथ काली और सरस्वती की पूजा करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें: Dhanteras 2018: बिना किसी को बताए धनतेरस पर खरीद लाएं ये 5 चीजें, आर्थिक परेशानियों से मिलेगा छुटकारा
बन रहा है यह शुभ संयोग
इस साल दिवाली पर चंद्रमा तुला राशि में होंगे, जबकि इस राशि में पहले से ही राशि स्वामी शुक्र विराजमान हैं और इनके साथ सूर्य भी हैं. ऐसे में तुला राशि में सूर्य, शुक्र और चंद्रमा का त्रिग्रही योग बन रहा है जिसे बहुत ही शुभ संयोग माना जा रहा है. इनके अलावा आयुष्मान योग और सौभाग्य योग भी दिवाली को बेहद शुभ और लाभकारी बना रहे हैं.
पूजन के दौरान बरतें ये सावधानियां
हिंदू धर्म के शास्त्रों में देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय कुछ नियम बताए गए हैं. कहा जाता है कि अगर इन नियमों की अनदेखी की जाती है और पूजा में ध्यान नहीं रखा जाता तो धन की देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं, इसलिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. यह भी पढ़ें: Diwali 2018: जानें कब है धनतेरस, छोटी दिवाली, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज ?
तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करें
लक्ष्मी पूजन के दौरान माता लक्ष्मी को तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं करने चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, लेकिन माता लक्ष्मी का तुलसी से बैर है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप शालिग्राम की पत्नी हैं. इस नाते तुलसी माता लक्ष्मी की सौतन हैं, इसलिए पूजन के दौरान इसका इस्तेमाल करने से बचें.
दीपक जलाते समय रखें इस बात का ध्यान
देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए जब आप दीपक जलाते हैं तो इस बात का खास तौर पर ख्याल रखें कि दीपक की बाती का रंग लाल हो और दीपक को मूर्ति के दायीं तरफ रखना चाहिए. इसके पीछे वजह बताई जाती है कि भगवान विष्णु अग्नि और प्रकाश के स्वरूप हैं, इसलिए भगवान विष्णु का स्वरूप होने के कारण दीपक को माता लक्ष्मी की मूर्ति की दायीं ओर रखना शुभ माना जाता है.
माता लक्ष्मी को न चढ़ाएं सफेद फूल
माता लक्ष्मी को लाल रंग बेहद प्रिय है इसलिए पूजन के दौरान उन्हें सफेद रंंग के फूल चढ़ाने से बचें. दरअसल, देवी लक्ष्मी चिर सुहागन हैं इसलिए उन्हें हमेशा लाग गुलाब और लाल कमल के फूल चढ़ाने चाहिए. इससे वो बेहद प्रसन्न होती हैं. यह भी पढ़ें: Diwali 2018: 5 दिनों तक मनाया जाता है दिवाली का पर्व, जानें क्या है इसके हर एक दिन का महत्व?
लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें
लक्ष्मी पूजन के दिन माता लक्ष्मी की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती. इसलिए दीपावली की शाम गणेश जी की पूजा के बाद देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का पूजन जरूर करें. इससे माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है और धन लाभ होता है.