Dhanvantari Jayanti 2024: कब मनाया जाएगा भगवान धन्वंतरि जयंती? जानें कौन हैं धन्वंतरि और क्या है इनका पूजा-अनुष्ठान इत्यादि?
पौराणिक ग्रंथों में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक देवता विभिन्न शक्ति विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं. किसी के पास अग्नि की शक्ति, किसी के पास आत्मा, किसी के पास वायु, कोई आकाश को तो कोई जल का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी देवता हैं, जो सभी क्षेत्रों में भी शासन का सामर्थ्य रखते हैं.
पौराणिक ग्रंथों में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक देवता विभिन्न शक्ति विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं. किसी के पास अग्नि की शक्ति, किसी के पास आत्मा, किसी के पास वायु, कोई आकाश को तो कोई जल का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी देवता हैं, जो सभी क्षेत्रों में भी शासन का सामर्थ्य रखते हैं. ऐसे ही एक देव हैं, धन्वंतरि जी, जो ब्रह्मांड के इकलौते चिकित्सक होने के नाते अग्नि, आकाश, जल, वायु, आत्मा हर क्षेत्र में अपनी पहुंच रखते हैं. जो आवश्यकतानुसार सभी देवों का उपचार करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था. आइये बात करते हैं भगवान धन्वंतरि की जयंती पर इसके महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-अनुष्ठान आदि के बारे में.. यह भी पढ़ें : Diwali 2024 Cleaning: दिवाली पर अपने घर को चमकाने के लिए अपनाएं ये 5 स्पेशल किचन सफाई टिप्स
धन्वंतरि जयंती पूजा मुहूर्त!
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 10.31 AM (29 अक्टूबर 2024, मंगलवार) से
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्त 01.15 PM (30 अक्टूबर 2024, बुधवार) तक
उदया तिथि के अनुसार भगवान धन्वंतरि जयंती 30 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी.
भगवान धन्वंतरि की पूजा का शुभ मुहूर्त: 06.26 AM से 10.42 AM तक
धन्वंतरि जयंती पूजा-अनुष्ठान विधि
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर करे मुख्य प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाएं. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर उत्तर दिशा में भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें. अब भगवान धन्वंतरि के सामने धूप-दीप प्रज्वलित करें, अब भगवान के सामने खील रखें. एक कलश में शुद्ध जल लेकर सभी देवताओं को आचमन करें. रोली, कुमकुम, हल्दी, सुगंध, अक्षत, पान, सुपारी, मिष्ठान, फल एवं कुछ सिक्के भगवान को अर्पित करें. भगवान धन्वंतरि को श्यामा तुलसी, गाय का दूध, और उससे तैयार मक्खन चढ़ाएं.
निम्न मंत्र का 108 जाप करते हुए कमलगट्टे की माला का 108 जाप करें.
'ॐ धन्वंतराये नमः'
अंत में भगवान धन्वंतरि की आरती उतारते हुए पूजा का समापन करें.
धन्वंतरि से जुड़ी कुछ और खास बातें
* पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान धन्वंतरि, भगवान विष्णु के 12वें अवतार हैं.
* धन्वंतरि जी आयुर्वेद के जनक और देव चिकित्सक हैं.
* मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा-अनुष्ठान से व्यक्ति निरोग और सुखी रहता है.
* भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है.
* जैन समाज में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहा जाता है.
* भगवान धन्वंतरि के हाथ में अमृत-कलश और औषधियों से भरा बर्तन लिए हुए दर्शाया जाता है.
* धन्वंतरि को स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.