Dashama Vrat 2022: प्रतिकूल परिस्थितियों से मुक्ति दिलाती हैं देवी दशामा! जानें गुजरात के इस 10 दिन चलनेवाले व्रत-अनुष्ठान का महात्म्य एवं पूजा विधि!
Dashama Vrat 2022 (Photo Credits: File Photo)

सावन मास के पहले दिन से 10 दिनों के दशामा व्रत पर्व की शुरुआत होती है. दशामा नामक यह व्रत गुजरात का भव्य उत्सव होता है, जिसे हर हिंदू गुजराती श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ मनाता है. ‘दशामा’का आशय है प्रतिकूलता की देवी. इनके बारे में मान्यता है कि वह लोगों को विपरीत एवं कष्टकारी परिस्थितियों से मुक्ति दिलाती हैं. दशामा व्रत गुजरात के हिंदु समाज का आध्यात्मिक पर्व है. यह उत्सव सावन मास कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा से शुरु होकर 10 दिनों तक चलता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दशामा का यह पर्व 29 जुलाई 2022से शुरु होकर 7 अगस्त 2022 तक चलेगा. दस दिवसीय यह व्रत एवं अनुष्ठान सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए मनाया जाता है. वस्तुतः दशामा देवी की नवरात्रि के रूप में जाना जाता है. दशामा व्रत देवी दशमा को समर्पित है.

आइये जानें दशामा व्रत-अनुष्ठान का महत्व एवं पूजा विधि. दशामा व्रत 2022 कब है  दशामा सावन मास की प्रतिपदा से दशमी तक निरंतर रखा जाने वाला व्रत है, जो मूलतः गुजरात में रखा जाता है. चूंकि गुजरात, महाराष्ट्र, गोव एवं दक्षिण भारत में सावन मास का प्रारंभ 29 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार से हो रहा है, इसलिए दशामा व्रत भी इसी दिन से शुरु होगा, और 7 अगस्त 2022 रविवार तक चलेगा. दशामा व्रत का महात्म्य देवी दशामा गुजराती हिंदुओं समाज की अत्यधिक पूज्यनीय एवं प्रतिष्ठित देवी हैं. गुजरात में दशामा देवी के कई मंदिर हैं. दशमा देवी प्रतिकूलता की देवी मानी जाती हैं. उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन की विषम एवं प्रतिकूल परिस्थितियों से मुक्ति मिलती है और जीवन सरल और समृद्धि से भरपूर हो जाता है. मान्यता है कि अगर किसी के जीवन में हर मोड़ पर परिस्थितियां उसके खिलाफ बनती हैं, उसका हर कार्य उसकी इच्छा के विपरीत होता है, तो इस काल में 10 दिन उपवास रखते हुए दशामा देवी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं. सावन मास के प्रारंभ होते ही गुजरात स्थित सभी दशमा मंदिरों को सजाया जाता है. दसों दिन यहां भव्य आयोजन, भजन-कीर्तन, यज्ञ आदि अनुष्ठान किये जाते हैं. आज जिस तरह संपूर्ण देश में अस्थिरता का माहौल है. दसमा 2022 काल में सच्ची निष्ठा एवं आस्था के साथ पूजा-अनुष्ठान करने से उम्मीद की जा सकती है कि संपूर्ण देशमें खुशहाली आएगी. यह भी पढ़ें : Hariyali Amavasya 2022 Greetings: हरियाली अमावस्या पर ये ग्रीटिंग्स GIF Images और HD Wallpapers के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं

दशामा व्रत एवं पूजा की विधि

सावन मास कृष्णपक्ष की प्रथमा को सूर्योदय से पूर्व स्नान करें. इसी दिन से दस दिनों तक दशा मां का उपवास शुरू हो जाता है, उपवास में केवल फलाहार लेते हैं. सर्वप्रथम एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. उस बाईं तरफ एक मुट्ठी गेहूं फैलाकर रखें. इस पर प्रथम आराध्य गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें. उनके मस्तक पर रोली एवं अक्षत का तिलक लगाएं एवं स्तुतिगान करें. अब दो जगह गेहूं फैला कर रखें. एक पर जल से भरा तांबे का लोटा रखें. इस पर कलाई नारा बांधें. कलश पर आम्र पल्लव फैलाकर रखें. इस पर जटावाला नारियल रखकर रोली एवं अक्षत से पांच तिलक लगायें. दूसरी ढेर पर दशा मां की प्रतिमा रखें. धूप-दीप प्रज्जवलित करें. पान का पत्ता चढ़ाएं तथा माँ को चुनरी पहनायें और सोलह श्रृंगार अर्पित करें. माँ को फूलों का हार पहनाएं. सामने चावल से स्वास्तिक का चिह्न बनाकर इस पर एक सिक्का एवं एक सुपारी रखें. प्रसाद के रूप में मिष्ठान चढ़ाएं. अंत में आरती उतारें. इसी तरह 10 दिनों तक पूजा करनी चाहिए.

दसवें दिन सुबह की पूजा करने के पश्चात प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है.