Chanakya Neeti: सुंदर स्त्री भाग्य से मिलती है, मगर उसका सुख पाना आपके कर्मों पर निर्भर करता है!

आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन के हर पहलुओं का बड़ी स्पष्टता एवं दोटूक शब्दों में विश्लेषण किया है, जो सदियों बाद आज भी प्रासंगिक लगती हैं. यहां हम उन सुख की बात करेंगे, जो आपको भाग्य के सहारे प्राप्त तो हो जाती हैं, लेकिन आप उसका उपभोग नहीं कर पाते...

Chanakya Neeti (Photo Credit: Wikimedia Commons)

आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन के हर पहलुओं का बड़ी स्पष्टता एवं दोटूक शब्दों में विश्लेषण किया है, जो सदियों बाद आज भी प्रासंगिक लगती हैं. यहां हम उन सुख की बात करेंगे, जो आपको भाग्य के सहारे प्राप्त तो हो जाती हैं, लेकिन आप उसका उपभोग नहीं कर पाते. अगर आप उऩका लाभ उठा लेते हैं तो यह आपके पिछले जन्म की तपस्या के कारण प्राप्त माना जाएगा. यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: जरूरत से ज्यादा सीधा-सरल इंसान ही क्यों संकट भोगता है? जानें चाणक्य नीति क्या कहती है!

भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर वरांगना।

विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम् ॥

चाणक्य नीति के एक अध्याय में उन्होंने जीवन में मिलने वाले 6 तरह के सुखों का वर्णन किया है, इनमें भोज्य पदार्थ, भोजन शक्ति, रति शक्ति, सुंदर स्त्री, वैभव तथा दान शक्ति ये सारे सुख किसी तपस्या का फल नहीं होते. कहने का आशय स्वादिष्ट खाने-पीने की वस्तुएं मिले, जीवन के अंत तक खाने-पचने की शक्ति बनी रहे, सुंदर स्त्री से संभोग की इच्छा शक्ति बनी रहे, सुंदर स्त्री पत्नी बने, धन संपत्ति होने के साथ-साथ दान देने की प्रवृत्ति भी हो. तो ये सारे सुख मिलने के पीछे भाग्य के साथ-साथ पिछले जन्म के कर्मों के कारण ही संभव हो पता है. मान्यताओं के अनुसार पूर्व जन्म में ये खुशियां अखंड तपस्या के पश्चात ही प्राप्त होती थीं.

अकसर देखने को मिलता है कि जिन लोगों के पास खाने की कोई कमी नहीं है, उनके पास उन्हें खाना खाकर पचाने का सामर्थ्य नहीं रहता, इसे दूसरे शब्दों में कह लें कि जिनके पास खाने के लिए भुने बादाम तो होते हैं, लेकिन उन्हें चबाने के लिए उनके पास दांत नहीं होते, और जिनके पास दांत हैं, उनके पास बादाम नहीं होते. दांत और बादाम के सुख के पीछे आपके कर्मों की भी बड़ी भूमिका होती है.

इसी तरह बहुत सारे लोगों के पास अपार धन दौलत और वैभव है, लेकिन उनमें उस धन दौलत को उपभोग करने और दान देने की प्रवृत्ति नहीं होती, लेकिन जिनके पास उस धन को भोगने और दान करने की प्रवृत्ति होती है, चाणक्य के अनुसार यह उनके पूर्व जन्म में किये तपस्या के कारण होता है. सुंदर स्त्री का संयोग बहुत सारे पुरुषों को प्राप्त होता है, लेकिन अकसर देखा गया है कि उस सुंदर स्त्री के साथ संभोग करने का सुख उसे प्राप्त नहीं हो पाता, लेकिन अगर उसे उस स्त्री के साथ संभोग का सुख प्राप्त होता है, तो निश्चित रूप से यह भी उसके पूर्व जन्म के फलों के कारण ही होता है.

यहां चाणक्य नीति का सार यह है कि आप कितने भी भाग्यशाली हों, आपको दुनिया जहान की खुशियां हासिल हैं, लेकिन अगर आप उन खुशियों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, सब कुछ व्यर्थ है. लेकिन अगर आप ईश्वर प्रदत्त खुशियों को भोगने का अवसर भी प्राप्त करते हैं, तो निश्चित रूप से तभी होगा, जब आपके भाग्य को आपके कर्मों का साथ मिलेगा.

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