Chaitriya Navratra 2021: नवरात्र की 9 मान्यताएं! माँ दुुर्गा सिंदूर क्यों लगाती हैं, जानें ऐसे 9 चौंकानेवाली मान्यताएं!

हिंदू धर्म में नवरात्र के नौ दिन बहुत पवित्र दिन माने जाते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों के लिए माँ भगवती पृथ्वी पर विचरण करती हैं. उनका दिव्य सम्मान करने और अपने संकट दूर करने के लिए भक्त पूरे 9 दिनों तक उनकी विधिवत पूजा-अनुष्ठान करते हैं.

चैत्र नवरात्रि 2021 (Photo Credits: File Image)

चैत्र नवरात्रि 2021: हिंदू धर्म में नवरात्र (Navratra) के नौ दिन बहुत पवित्र दिन माने जाते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों के लिए माँ भगवती पृथ्वी पर विचरण करती हैं. उनका दिव्य सम्मान करने और अपने संकट दूर करने के लिए भक्त पूरे 9 दिनों तक उनकी विधिवत पूजा-अनुष्ठान करते हैं. मान्यता है कि भक्तों की पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर आदि शक्ति अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है. लेकिन इसी नवरात्र से जुड़ी 9 मान्यताएं हैं, जिन्हें जानने की उत्कंठा हर किसी को होती है. यहां उन्हीं मान्यताओं की बात करेंगे.

* कैसे उद्भभव हुआ माँ दुर्गा का?

माँ दुर्गा के उद्भव को लेकर तमाम किंवदंतियां हैं. देवी पुराण के अनुसार एक बार महिषासुर (Mahishasura) नामक राक्षस ने अतुल्य शक्ति पाकर देवताओं पर अत्याचार करते हुए उन्हें स्वर्ग से बाहर खदेड़ दिया था. देवताओं की स्थिति देखकर त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) को महिषासुर पर अत्यंत क्रोध आया. कहते हैं कि उनके क्रोध की ज्वाला एक दिव्य एवं विकराल रूपिणी के रूप में दिखीं. इस दिव्य प्रतिमूर्ति को देखकर उनके सामने नतमस्तक होकर देवताओं ने उनका स्तुतिगान कर उन्हें शांत किया.महिषासुर के संहार के लिए शिवजी ने त्रिशूल, श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र, ब्रह्मा ने कमल, देवराज इंद्र ने वज्र, हिमावंत देव ने धनुष एवं सिंह उन्हें प्रदान किया. इन आयुधों से सुसज्ज माँ दुर्गा ने हुंकार भरते हुए महिषासुर को ललकारा. कहते हैं कि लंबे समय तक चले इस युद्ध में अंततः माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया.

* पूजा अनुष्ठान के लिए नौ रात्र ही क्यों?

आदि शक्ति माँ दुर्गा (Maa Durga) ने जब महिषासुर के दैत्यों का संहार करना शुरु किया, तब महिषासुर ने उनसे मायावी युद्ध करना शुरु किया. महिषासुर की तमाम शक्तियों को खत्म करने के लिए माँ दुर्गा ने 9 दिनों में नौ स्वरूप धारण किये थे. नौवें दिन भैंस के रूप में लड़ रहे महिषासुर का संहार कर देवताओं को अभयदान दिया. इसीलिए दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा नव रात्र में की जाती है. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2021: माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनके प्रिय फूल अर्पित करने से विशिष्ठ फलों की प्राप्ति होती है! जानें किस देवी को कौन सा फूल प्रिय है?

* आदि शक्ति का नाम दुर्गा कैसे पड़ा?

यूं तो आदि शक्ति के 108 नाम बताये जाते हैं, लेकिन सबसे प्रचलित नाम दुर्गा है. इस संदर्भ में एक कथा प्रचलित है. एक दुष्ट राक्षस दुर्गम ने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न कर तमाम शक्तियां हासिल कर लिया. इसके बाद उसने सभी वेदों पर कब्जा कर ऋषि-मुनियों के यज्ञ को विध्वंश करने लगा. ऋषि-मुनियों ने माँ भगवती से रक्षा की मांग की. तब भगवती ने दुर्गम का अंत किया. इसके बाद से ही माँ भगवती का एक नाम दुर्गा पड़ा. इसी रूप में उन्होंने महिषासुर का भी अंत किया था.

* नवरात्र में माँ दुर्गा के लिए 108 मंत्रों का जाप क्यों करते हैं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का संहार करने से पूर्व श्रीराम ने मां दुर्गा की पूजा-अनुष्ठान कर 108 नील कमल अर्पित करने का संकल्प लिया था. किष्किंधा पर्वत पर श्रीराम ने दुर्गाजी का अनुष्ठान करने के बाद मंत्रोच्चारण के साथ एक-एक नीलकमल अर्पित करना शुरु किया, लेकिन 108वीं नील कमल के लिए जब मंत्रोच्चारण कर रहे थे, रावण ने एक नीलकमल को गायब कर दिया. तब श्रीराम को ध्यान आया कि एक बार सीता जी उनके नेत्र को नीलकमल स्वरूप बताया था. श्रीराम ने अपनी आंख अर्पित करनी चाही, तभी दुर्गा जी ने प्रकट होकर बताया कि उनकी साधना पूरी हो चुकी है. तुम दशमी के दिन रावण का संहार करोगे. कहते हैं तभी से माँ दुर्गा के लिए 108 मंत्रों के जाप का सिलसिला शुरु हुआ.

* माँ दुर्गा सिंदूर क्यों लगाती हैं?

माँ दुर्गा को 64 कलाओं की देवी माना जाता है. माँ दुर्गा का विवाह निराकार परम ब्रह्म से हुआ था, जिन्हें सदाशिव, काल ब्रह्म एवं निराकार प्रभु के नामों से जाना जाता है. इसका जिक्र रुद्र संहिता में भी किया गया है. यह भी पढ़ें : Bisu Parba 2021 Wishes & Greetings: तुलु नव वर्ष पर अपनों संग इन WhatsApp DP, Quotes, Messages, Wallpapers को शेयर कर दें शुभकामनाएं

* दुर्गा जी की दस भुजाएं क्यों होती हैं?

देवी पुराण में माँ भगवती की कहीं 10 भुजाओं का उल्लेख है. यद्यपि कहीं-कहीं उन्हें अष्टभुजी भी कहा गया है. उनकी ये भुजाएं दस दिशाओं पूर्व (प्राची), पश्चिम (प्रतीची), उत्तर (उदीची), दक्षिण (अवाचि), उत्तर-पूर्व (ईशान), दक्षिण-पूर्व (अग्निया), दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य) उत्तर-पश्चिम (वायु), आकाश (ऊर्ध्व), पाताल (अधरस्त) का प्रतिनिधित्व करती हैं. इसका तात्पर्य यह है कि माँ दुर्गा हर दिशाओं में अपने भक्तों की रक्षा करती हैं.

* सिंह की सवारी क्यों?

देवी पुराण के अनुसार माँ दुर्गा सिंह की सवारी करती हैं. यहां सिंह को अतुल्य शक्ति माना गया है. कहते हैं कि सिंह पर सवार माँ दुर्गा बुराई, पाप और दुखों का अंत करती हैं.

* दुर्गा को 'त्रयंबके' क्यों कहा जाता है?

त्रयंबके यानी तीन आंखों वाले, यानी भगवान शिव. माँ दुर्गा को शिव का ही आधा रूप माना जाता है, जिन्हें भगवती भी कहते हैं. मां दुर्गा की तीन आखें अग्नि, सूर्य और चंद्र का प्रतीक मानी जाती हैं.

* नवरात्र में 9 कुंआरी कन्या की पूजन क्यों होता है?

नवरात्र की अष्टमी अथवा नवमी को नौ कुंवारी कन्याओं के पूजन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. इन नौ कन्याओं को दुर्गा जी की नव शक्तियों के रूप में देखा जाता है. इस दिन उन्हीं कन्याओं की पूजा की जाती है, जिनकी माहवारी शुरु नहीं हुई होती है.

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