Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि में कलश-स्थापना क्यों जरूरी है? जानें कलश-स्थापना मुहूर्त, मंत्र एवं विधि! इस दौरान भूलकर भी न करें ये गल्तियां!

सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. नौ दिवसीय इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि दुर्गा जी के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अनुष्ठान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025, रविवार को कलश स्थापना से शुरु होकर 6 अप्रैल 2025 तक चलेगा.

Credit-(Latestly.Com)

   सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. नौ दिवसीय इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि दुर्गा जी के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अनुष्ठान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025, रविवार को कलश स्थापना से शुरु होकर 6 अप्रैल 2025 तक चलेगा. बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्रि नौ नहीं आठ दिन का होगा. आइये जानते हैं कि नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना का क्या महत्व है, तथा दुर्गाजी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के क्या-क्या पुण्य-फल प्राप्त हो सकते हैं. यह भी पढ़ें : Rang Panchami 2025 Wishes: शुभ रंग पंचमी! प्रियजनों को इन हिंदी WhatsApp Messages, Quotes और Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

चैत्र नवरात्र 2025 शुभ मुहूर्त 

चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रारंभः 04.27 PM  (29 मार्च 2025)

चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समाप्तः 12.49 PM (30 मार्च 2025)

उदया तिथि के अनुसार 30 मार्च को कलश स्थापना होगी.

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना मुहूर्तः 06.13 AM से 10.22 AM तक

उपरोक्त समय के भीतर कलश स्थापना किया जा सकता है

अभिजीत मुहूर्तः 12.01 PM से 12.50 PM तक

उपयुक्त अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना किया जा सकता है.

क्यों जरूरी है कलश-स्थापना?

  कलश-स्थापना महज एक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है. कलश शक्ति के अस्तित्व का प्रतीक है, और दिव्य ऊर्जा के आह्वान का प्रतीक है. कलश-स्थापना अनुष्ठान कर हम सुख, शांति, समृद्धि, सुरक्षा एवं शांति आमंत्रित करते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कलश की प्राण-प्रतिष्ठा विधि-विधान से किया जाए. किसी तरह की गलती या भूल कलश-स्थापना को अप्रभावी बना सकता है. इसलिए कलश-स्थापना की प्रक्रिया किसी विद्वान पुरोहित से ही करवाना श्रेयस्कर होगा.

कलश-स्थापना के दौरान ये गलतियां करने से बचें

* देवी पुराण के अनुसार कलश-स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.

चैत्र मास की प्रतिपदा अमावस्या के अगले दिन होती है, इसलिए कलश स्थापना गलती से भी अमावस्या तिथि पर न हो, इस बात का जरूर ध्यान रखें.

* कलश-स्थापना के समय मां दुर्गा के आह्वान मंत्र पढ़ते समय अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए.

* कलश-स्थापना से पूर्व इसमें जल के साथ सभी आवश्यक वस्तुएं जरूर डालनी चाहिए.

* एक भी गलती या अनदेखी करने से माँ दुर्गा रुष्ठ हो सकती हैं.

चैत्र नवरात्रि की कलश-स्थापना विधि

  कलश स्थापना से पूर्व पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें. इसके बाद नीचे मिट्टी फैलाएं. इस पर जौ बिछाएं. इस पर पानी का छिड़काव करें. अब एक मिट्टी का कलश लें. इसमें गले तक पानी भरें. इसमें सुपारी, सिक्का, गंगाजल, फूल, रोली डालकर इसके ऊपर आम के पत्ते रखकर इस पर एक बड़ा दीया रखें. दीये में चावल रखें. एक जटावाला नारियल लें, इस पर चुनरी लपेटें. मौली से बांधकर दीये पर रखे चावल पर रखें. कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. निम्न मंत्र का जाप करें.

  भूर्भुवः स्वः भो वरुणइहागच्छइह तिष्ठस्थापयामि,

पूजयामिमम पूजां गृहाण। 'ओम अपां पतये वरुणाय नमः।

इस मंत्र के माध्यम से कलश में समस्त देवी देवताओं और तीर्थों का वास होगा. अब कलश को भगवान गणेश मानकर पंचोपचार सहित पूजा करें.

इसके पश्चात अखंड दीप प्रज्वलित करें.

इसके पश्चात चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन शैल पुत्री की विधिवत पूजा करें.

Share Now

\