Buddha Purnima 2020: कैसे बने राजकुमार सिद्धार्थ ‘भगवान बुद्ध’! क्या वे श्रीविष्णु के नौवें अवतार हैं? जानें महात्मा बुद्ध के ‘सत्य’ का मर्म!
वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन संपूर्ण भारत में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्मानुसार इस दिन सुबह-सवेरे उठकर गंगा अथवा पवित्र सरोवरों में स्नान-दान एवं व्रत-पूजा की परंपरा है, वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन इसलिए खास माना जाता है.
वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन संपूर्ण भारत में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्मानुसार इस दिन सुबह-सवेरे उठकर गंगा अथवा पवित्र सरोवरों में स्नान-दान एवं व्रत-पूजा की परंपरा है, वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष (2020) 6 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जायेगी. आइये जानें भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी कुछ अंतरंग बातें..
भगवान बुद्ध का दर्शन:
भगवान बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी नगर में वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था. उनका दर्शन बहुत सरल मगर उच्च कोटि का है, जो मध्यम मार्ग के नाम से लोकप्रिय है. बुद्ध के दर्शन पर आधारित एक विशेष जीवन पद्धति उल्लेखित है, जो बौद्ध धर्म के नाम से सर्वत्र जानी जाती है. भगवान बुद्ध के मूल सिद्धांतों में चार मुख्य बातें हैं, पहला दुःख का सत्य, दूसरा दुःख की उत्पत्ति का सच, तीसरा दुःख की समाप्ति का सच और चौथा दुःख को समाप्ति के मार्ग का सच. अर्थात भगवान बुद्ध मानते थे कि जीवन दुःखों का भंडार है. उनकी सोच में दुःख का मुख्य कारण ‘इच्छा’ है, क्योंकि ‘इच्छा’ ही इंसान को भौतिक मोह-माया से बांधती है. भगवान बुद्ध के अनुसार अगर कोई व्यक्ति ‘इच्छा’ पर विजय प्राप्त कर ले तो वह ‘मोक्ष’ भी प्राप्त कर लेता है. यही तो जीवन का मूल सार है.
यह भी पढ़ें- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष ने बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं दीं
कहां-कहां मनाई जाती है बुद्ध जयंती:
आज देश-विदेश में लगभग 180 करोड़ से ज्यादा लोग भगवान बुद्ध के अनुयायी हैं. भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे देशों में इस दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. भारत में बौद्ध गया (बिहार) को भगवान बुद्ध के अनुयायी सर्वाधिक पवित्र धर्म-स्थल मानते हैं. इस दिन यहां भारी तादाद में श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं. कुशीनगर में भी बुद्ध पूर्णिमा पर एक माह का मेला लगता है. श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक उत्सव’ के नाम से जाना जाता है. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीप प्रज्जवलित करते हैं, इसे फूलों से सजाते हैं, प्रार्थनाएं करते हैं. कहीं-कहीं बौद्ध ग्रंथों का पाठ किया जाता है. कुछ जगहों पर अलग-अलग तिथियों पर भी बुद्ध पूर्णिमा मनायी जाती है. उदाहरणस्वरूप ताइवान सरकार मई के दूसरे रविवार को तो जापान के मंदिरों में 8 अप्रैल को भगवान बुद्ध का जन्मदिन मनाते हैं.
क्या बुद्ध भगवान विष्णु के नौंवे अवतार है?
उत्तर भारत में कुछ जगहों पर गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार बताया जाता है. हालांकि दक्षिण भारत में भगवान बुद्ध को विष्णु के 10 अवतारों में कहीं भी स्थान नहीं दिया गया है. यहां के धर्म ग्रंथों के अनुसार बलराम आठवें और श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं. हिंदुओं के वैष्णव समाज में भी बलराम को 8वां अवतार माना गया है. तथापि तमाम विवादों के बावजूद वैशाख पूर्णिमा के दिन बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा भी पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
क्या है महात्मा बुद्ध का ‘सत्य’:
सर्वत्र विश्व में महात्मा बुद्ध को ‘सत्य’ के मर्म तक पहुंचने वाले संत के रूप में जाना जाता है. जीवन में घटे कुछ घटनाक्रमों के कारण राजसी ठाठ-बाट त्याग कर राजकुमार सिद्धार्थ सात सालों तक ‘सत्य’ के मर्म को जानने के लिए वनों में इधर-उधर भटकते रहे. उसकी अनुभूति प्राप्त करने के लिए उऩ्होंने सालों कठोर तपस्या की, अंततः उन्होंने ‘सत्य’ की खोज पूरी कर ‘बुधत्व’ को प्राप्त किया. फिर ‘सत्य’ के संदेश को अपने प्रवचन के माध्यम से दुनिया भर में ले गये. सबको मानवता का पाठ पढ़ाया, सृष्टि को समझने की एक नई दृष्टि पैदा की. दु:खों का कारण और निवारण लोगों तक अपने उपदेशों के माध्यम से पहुंचाया.
बुद्ध पूर्णिमा (6 मई 2020) शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा आरंभः शाम 07.44 बजे से (6 मई 2020)
पूर्णिमा समाप्तः दोपहर 04.14 बजे तक (7 मई 2020)