काले तिल का तिलस्म! जानें इसमें कैसे-कैसे छिपे हैं आध्यात्मिक, सेहत एवं सौंदर्य के गुण?
काले तिल (Photo Credits: Pixabay)

इन दिनों श्राद्ध पक्ष में सुबह-सवेरे लोग स्नान-ध्यान के पश्चात लोटे में जल के साथ काला तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में अर्पित करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को जल एवं भोजन प्राप्त हो जाता है. तर्पण एवं पिण्डदान आदि में भी काले तिलों का इस्तेमाल किया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान श्रीगणेश, भगवान विष्णु एवं शनि देव को काले तिल को बेहद प्रिय माना गया है, वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी इंसान के जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक तिल का महत्व वर्णित है. तिल में निहित वैज्ञानिक गुण आपके सेहत को अच्छा रखता है तो सौंदर्य विशेषज्ञाएं भी तिल का तमाम तरह से उपयोग करती हैं, जिससे व्यक्तित्व में निखार आता है.

आध्यात्मिक गुण

* ज्योतिष शास्त्र में उल्लेखित है कि षट्कर्म (धौति, वस्ति, नेति, त्राटक, नौली, कपालभाति) में काले तिल और लक्ष्मी कर्म में सफेद तिल इस्तेमाल करने से जल्दी ही आर्थिक लाभ होता है.

* गाय के दूध से बने शुद्ध घी में सफ़ेद तिल मिलाकर लक्ष्मीजी के निमित्त हवन करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

* मान्यता है कि षट्तिला एकादशी के दिन तिल का दान करने वाले का भविष्य उज्ज्वल होता है. उस पर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.

* षट्तिला एकादशी के दिन पंचामृत में तिल मिला कर भगवान विष्णु को स्नान कराने से जीवन के सारे दुर्भाग्य खत्म हो होते हैं.

* तिल-गुड से बने व्यंजन का भगवान विष्णु को भोग लगाने के पश्चात प्रसाद स्वरूप खाने से धन-धान्य की कमी दूर होती है, एवं घर में बरक्कत आती है. यह भी पढ़ें : गलती से भी खाली पेट न खाएं ये चीजें, सेहत पर जहर के समान दिखाती हैं असर

सेहत के लिए लाभकारी तिल

* तिल का नियमित उपयोग करने से वात्, कफ, एवं विकार आदि को दूर करता है. क्षीण हो रहे पुरुषत्व को सशक्त बनाता है.

* पानी में काला तिल मिलाकर नियमित स्नान करने से स्किन से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं.

* तिल का नियमित सेवन करने से मस्तिष्क की कोशिकाएं एवं मांसपेशियां मजबूत होती है. तिल में विटामिन-बी कॉम्प्लैक्स व प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं.

* पैरों के फटने (बिवाई) की शिकायत है तो पीले मोम में एक चौथाई भाग काले तिल का तेल मिलाकर गरम करके मरहम बना लें. अब इस बिवाई वाली जगह पर लगाइये, लाभ मिलेगा.

* बवासीर के मरीज अगर तिल को पीसकर इसमें मक्खन मिलाकर खायें तो उन्हें बवासीर की समस्या से निजात मिलेगी.

* तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देता है. इसके अलावा यह मांस-पेशियों को भी मजबूत बनाता है,

सौंदर्योपयोगी भी है

* तिल को पीसकर उसका उबटन बनाकर शरीर पर लगाने से त्वचा में निखार आता है. क्योंकि इसमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं.

* तिल के तेल में ओमेगा-3, ओमेगा-6 और ओमेगा-9 जैसे महत्वपूर्ण फैटी एसिड होते हैं. प्रतिदिन दो चम्मच तिल अथवा इससे बने व्यंजन खाने से बालों के असमय झड़ने एवं उसके सफेद होने की समस्या से छुटकारा मिलता है. इससे बाल काले, घने एवं मुलायम होते हैं.

* तिल का तेल बालों के लिए कंडीशनर का काम करता है. इससे बालों में चमक आती है.

* तिल के तेल से बदन पर मालिश करने से त्वचा स्निग्ध होती है, तथा नाक एवं गले के आसपास करने से उस जगह पर झुर्रियां नहीं पड़तीं.

* एक चम्मच जैतून के तेल में दो बडा चम्मच पीसा हुआ तेल अच्छी तरह से मिक्स कर आधे घंटे के लिए रख दें. अब स्नान करने से एक घंटा पहले इसे चेहरे, गले और बाहों आदि में लगायें. आपका व्यक्तित्व निखर उठेगा.