Anti Terrorism Day 2020: आतंकवाद (Terrorism) आज के दौर में विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. भारत को तो आजादी के बाद से ही आतंकवाद की विभीषिकाओं से जूझना पड़ रहा है. इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए भारत में हर वर्ष 21 मई को,’आतंक विरोधी दिवस' (Anti Terrorism Day) मनाया जाता है. 21 मई की तारीख इसलिए चुनी गई, क्योंकि इसी दिन भारत के सबसे युवा एवं लोकप्रिय प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former PM Rajiv Gandhi) लिट्टे उग्रवादियों के आतंक का शिकार हुए थे. हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद देश में आतंकवाद की चिंगारी बुझ नहीं पा रही है. आइए जानते हैं कि ‘आतंकवाद विरोधी दिवस' मनाने का उद्देश्य क्या है, और किन परिस्थितियों में राजीव गांधी की मृत्यु हुई थी.
संपूर्ण विश्व पीड़ित है आतंकवाद से!
आज भले ही पूरी दुनिया कोविड-19 की महामारी (COVID-19 Pandemic) की चपेट में है और इससे मरने वालों की संख्या अब तक तीन लाख से ऊपर पहुंच गई है, लेकिन वहीं एक सच यह भी है कि आतंकवाद के दंश से भी संपूर्ण विश्व आहत है. वह चाहे अमेरिका हो, ब्रिटेन हो, रूस, श्रीलंका, सीरिया, भारत, अफगानिस्तान या पाकिस्तान हो, सभी आतंकवाद से पीड़ित हैं.
ऐसे हुए आतंकवाद का शिकार राजीव गांधी!
आतंकी हमलों से निपटने के लिए भारत ने 21 मई 1991 को ‘आतंकवाद विरोधी दिवस' मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से भारत में हर साल 21 मई को ‘आतंकवाद विरोधी दिवस' मनाया जा रहा है. दरअसल, 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्री पेरंबदूर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. राजीव गांधी पर यह हमला एक महिला ने मानव बम बनकर किया था. बम ब्लास्ट होते ही राजीव गांधी के शरीर के चिथड़े उड़ गए थे.
सूत्रों के मुताबिक श्री पेरंबदूर में रैली को संबोधित करने के पश्चात, जब राजीव गांधी जनता से रूबरू हो रहे थे, उसी समय एक महिला, जो अपने वस्त्रों के भीतर विस्फोटक छिपाकर लाई थी. राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी और उसने बम का बटन दबा दिया, जिससे एक तेज धमाका हुआ और राजीव गांधी समेत 25 लोगों की मौत हो गई. यह भी पढ़ें: Anti Terrorism Day 2020: जानें 21st May को क्यों मनाया जाता है आतंकवाद विरोधी दिवस? मानवता का संदेश और युवाओं को जागरूक करने की लेते हैं प्रतिज्ञा
क्या है मकसद?
इस दिवस विशेष को मनाने का मुख्य उद्देश्य आतंकवादी कृत्यों से आम समाज को अवगत एवं जागृत कराना है. आतंकवादियों के देश-विरोधी एवं नृशंस कृत्यों से तमाम मासूमों को असमय जीवन से हाथ धोना पड़ता है. इससे आम लोगों को अवगत कराया जाता है. इस दिवस विशेष को मनाने का एक उद्देश्य शांति और मानवता को स्थापित करना तथा यह देखना कि आतंकियों के संभावित हमलों से कैसे सुरक्षित रहा जाए तथा लोगों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना. युवाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे आतंकियों के गुटों से दूर रहते हुए अपने लिए एक सुखद भविष्य का करें.