सही कहा गया है कि "आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं है. वे केवल तबाही की भाषा समझते हैं" और उनके खात्में के लिए मानवता का एक साथ आना बहुत जरूरी है. इसलिए हर साल 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. आतंकवाद विरोधी दिवस शांति और मानवता का संदेश देने और लोगों में एकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. देश में कई आतंकी हमले हुए जिन्हें कभी भूला नहीं जा सकता. मुंबई पर 26/11 का हमला हो या दिल्ली में संसद पर हमला, पठान कोट हो या फिर पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमला, ये वो हमले हैं, जो कभी भूलाये नहीं जा सकते. इसलिए आतंकवाद विरोधी दिवस मानवता के साथ एकजुटता दिखाता है. यह दिवस 21 मई को इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि आज ही के दिन देश ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को एक सुसाइड अटैक में खोया था.
आंतकवाद विरोधी दिवस की शपथ
हर साल इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों आदि में आतंकवाद विरोधी प्रतिज्ञा ली जाती है. यह प्रतिज्ञा है: "हम, भारत के लोग हमारे देश की अहिंसा और सहनशीलता की परंपरा में विश्वास कायम करते हुए, अपनी शक्ति सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का विरोध करने के लिए करेंगे। हम शांति बनाए रखने और इसे बढ़ावा देने की प्रतिज्ञा करते हैं. सामाजिक सद्भाव, और सभी साथी मनुष्यों के बीच समझ कायम रखने और मानव जीवन और मूल्यों को खतरे में डालने वाली ताकतों से लड़ने की शपथ लेते हैं. यह भी पढ़े: 26/11 मुंबई हमला: आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने वाले दो पुलिस ऑफिसर निलंबित, ड्यूटी पर लापरवाही बरतने का आरोप
21 मई को क्यों मनाया जाता
21 मई, 1991 को भारत के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. चेन्नई में एक चुनावी रैली के दौरान महिला सुसाइड बॉम्बर ने राजीव गांधी की हत्या की थी। जिसके बाद वी.पी. सिंह सरकार ने 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. तभी से यह दिवस मनाया जाता है.
आतंकवाद विरोध दिवस का उद्देश्य
आतंकवाद, आतंकवादियों के अमानवीय कृत्यों द्वारा लोगों की जान का नुकसान और लोगों में मौत का डर पैदा करने का एक काम है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मानव के अधिकारों पर हमला है। इसलिए जरूरत है हमें एक साथ आकर इसका अंत करने की और यह प्रेम और सद्भाव से ही संभव हो सकता है.
आतंकवाद विरोधी दिवस का उद्देश्य वैश्विक शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाना और युवाओं को पंथ प्रथाओं का पालन करने से रोकना और गुमराह होने से बचाना है. इसके साथ ही आतंकवाद विरोधी दिवस उन हजारों सैनिकों के बलिदान का सम्मान करता है, जो आतंकवाद के खिलाफ जंग में शहीद हो गए. यह उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आतंकवादी हमलों में अपनी जान गवाई.
शिक्षण संस्थानों में भी मनाने का है आदेश
आज के दौर में आंतकवादी युवाओं को अपना निशाना बनाते हैं और लालच देकर उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके इन मंसूबों को नाकामयाब करने के लिए 20 मई, 2019 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों को 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. जिसके तहत शिक्षण संस्थानों को में अलग-अलग गतिविधियों में डिबेट, परिचर्चा, संगोष्ठियां और फिल्मों की स्क्रीनिंग, आदि अयोजन किये जाते हैं. इसका उद्देश्य युवाओं को आतंकवाद से दूर रखना है.