
ज़ोमैटो (Zomato) के को-फाउंडर दीपिंदर गोयल अब फूड डिलीवरी के बाद हवाई यात्रा (Air Travel) के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, दीपिंदर गोयल ने एलएटी एयरोस्पेस (LAT Aerospace) नाम की एक नई एविएशन कंपनी (Aviation Company) में ‘नॉन-एग्जीक्यूटिव फाउंडर’ (Non-Executive Founder) के तौर पर अपनी भूमिका शुरू की है. यह कंपनी भारत में क्षेत्रीय हवाई यात्रा को आसान, सस्ती और लोगों के ज्यादा करीब लाने की दिशा में काम कर रही है.
एलएटी एयरोस्पेस की को-फाउंडर सुरोभी दास ने अपने लिंक्डइन (Linkedin) पोस्ट में बताया है, कि इस आइडिया की शुरुआत तब हुई जब वह और दीपिंदर भारत में अलग-अलग जगहों पर यात्रा कर रहे थे. उन्होंने अपने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा है, की ‘जब हम ज़ोमैटो बना रहे थे और भारत में बार-बार उड़ान भर रहे थे, तो हम दोनों के मन में एक ही सवाल बार-बार आता था – भारत में रीजनल एयर ट्रैवल (क्षेत्रीय हवाई यात्रा) अब भी इतनी टूटी-फूटी क्यों है? इतनी महंगी, कम चलने वाली, और तब तक सुलभ नहीं जब तक आप किसी मेट्रो सिटी में ना रहते हों.’
एलएटी एयरोस्पेस का उद्देश्य क्या है?
सुरोभी दास ने बताया कि भारत में 450 से ज़्यादा हवाई पट्टियाँ (Airstrips) हैं, लेकिन इनमें से केवल लगभग 150 ही कमर्शियल फ्लाइट्स (Commercial Flights) के लिए इस्तेमाल हो रही हैं. एलएटी एयरोस्पेस का लक्ष्य इन अनयूज़्ड या कम इस्तेमाल होने वाले हवाई स्ट्रीप्स को ‘एयर-स्टॉप्स’ में बदलना है — यानी ऐसे छोटे हवाई अड्डे जो लोगों के घरों के ज्यादा करीब हों. इससे लोगों को बड़ी एयरपोर्ट तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और हवाई सफर आसान, सस्ता और हर किसी की पहुंच में हो सकेगा.
इस पहल का विज़न क्या है?
इस आइडिया को ऐसे समझिए जैसे आसमान में चलती बसें – मतलब एलएटी एयरोस्पेस ऐसा हवाई नेटवर्क बनाना चाहती है, जो बिलकुल बस या ट्रेन की तरह हो. यानी हवाई ‘सफर इतना आसान, बार-बार उपलब्ध और सस्ता हो जाए कि आम लोग भी इसका आराम से इस्तेमाल कर सकें.’
क्या आप इसका हिस्सा बन सकते हैं?
सुरोभी ने अपने पोस्ट में लिखा है, कि अगर आप एक एयरोस्पेस इंजीनियर (Aerospace Engineer) हैं, सिस्टम डिजाइनर (System Designer) हैं, फ्लाइट टेक्नोलॉजी (Flight Technology) में दिलचस्पी रखते हैं, या फिर सिर्फ कोई ऐसा इंसान हैं, जो धीरे-धीरे होने वाली प्रगति (Incremental Progress) से थक चुके हैं – तो आप इस मिशन का हिस्सा बन सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ‘अगर आप जुड़ना चाहते हैं, तो बस अपना ईमेल (Email) कमेंट में लिखिए, हम आपसे खुद संपर्क करेंगे.’