नई दिल्ली: शीतकालीन सत्र (Winter Session) के दसवें दिन लोकसभा में एक बार फिर तीन तलाक (Tripple Talaq) पर पाबंदी लगाने वाले मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 चर्चा के लिए पेश किया गया. भारी हंगामे के बीच गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) बिल को पेश किया. बीजेपी और कांग्रेस ने चर्चा के मद्देनजर अपने-अपने सांसदों को पहले ही मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया था. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया है. जबकि विपक्षी दल इसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग पर अड़े हुए है.
ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए बिलः
लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश होने के बाद गतिरोध बढ़ गया. सरकार पर राफेल डील को लेकर हमला बोलने वाली कांग्रेस और भी आक्रामक हो गई. हंगामें के बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Karge) ने बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की. क्योंकि सरकार किसी धार्मिक मामले में हस्तक्षेप कर रही है. खड़गे ने कहा कि इस बिल से करीब 30 करोड़ महिलाएं प्रभावित होंगी और उनकी रक्षा जरूरी है.
खड़गे ने कहा, "तीन तलाक से जुड़ा बिल महत्वपूर्ण है, इसका गहन अध्ययन करने की जरूरत है. यह संवैधानिक मसला है. मैं अनुरोध करता हूं कि इस बिल को ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए." इससे पहले खड़गे ने कहा था कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि हम लोग चर्चा में हिस्सा लेंगे लेकिन पुराने विचार पर अब भी कायम हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वो धार्मिक मसलों में हस्तक्षेप न करे.
ट्रिपल तलाक का ताल्लुक किसी धर्म से नहीं-
वहीं तीन तलाक बिल का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा हमारी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. मैं नारी सम्मान की बात करता हूं. तीन तलाक बिल का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. बिल पर विपक्ष के साथ चर्चा को तैयार हैं.
यह भी पढ़े- पीएम मोदी ने तीन तलाक पर कहा- विपक्ष के विरोध के बावजूद बनाएंगे कानून
इस दौरान उन्होंने 20 इस्लामिक राष्ट्रों में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने की बात बताते हुए कहा कि हमारे जैसा धर्म निरपेक्ष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मेरा अनुरोध है कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
क्या है ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी-
गौरतलब हो कि ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं. यदि कोई सदस्य किसी बिल में संशोधन का प्रस्ताव पेश करता है तो उसे ज्वाइंट सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाता है. इस कमेटी के सदस्यों में कौन शामिल किया जाएगा, इसका फैसला सदन करता है.
लोकसभा में पास, राज्यसभा में अटका-
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार की सुरक्षा) बिल, 2018 इससे पहले दिसंबर 2017 और अगस्त 2018 में लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन मोदी सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद दोनों बार राज्यसभा में पास नहीं हो सका. इस बार सरकार चाहती है कि 8 जनवरी को संसद के शीतकालीन सत्र खत्म होने से पहले इसे दोनों सदनों से मंजूरी दिला दी जाए.