पत्नी के हिंदू धर्म का जेडी वैंस को फायदा होगा या नुकसान?
डॉनल्ड ट्रंप ने जेडी वैंस को अपने उपराष्ट्रपति के रूप में उम्मीदवार चुना है लेकिन वैंस की हिंदू पत्नी की धार्मिक पहचान पर उनकी पार्टी चुप्पी साधे हुए है.
डॉनल्ड ट्रंप ने जेडी वैंस को अपने उपराष्ट्रपति के रूप में उम्मीदवार चुना है लेकिन वैंस की हिंदू पत्नी की धार्मिक पहचान पर उनकी पार्टी चुप्पी साधे हुए है.उषा चिलुकुरी वैंस अपने "मांस और आलू" पसंद करने वाले पति, जेम्स डेविड वैंस से बहुत प्यार करती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उपराष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार जेडी वैंस की पत्नी उषा वैंसने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में एक भाषण में बताया कि कैसे उनके पति ने उनकी शाकाहारी डाइट को अपनाया और उनकी प्रवासी मां से भारतीय खाना बनाना सीखा. उनके श्वेत, ईसाई पति का दक्षिण भारत के मसालेदार भोजन बनाना, खासकर एक ऐसी पार्टी के नेता के लिए असामान्य है, जिसके अधिकांश सदस्य अभी भी श्वेत और ईसाई हैं.
पारंपरिक रूप से तो भारतीय आप्रवासियों को अमेरिका में डेमोक्रैट्स का समर्थक माना जाता है लेकिन उषा वैंस की मौजूदगी ने कुछ भारतीय अमेरिकी दक्षिणपंथियों में उत्साह जगाया है, खासकर हिंदू अमेरिकियों में. लेकिन पिछले महीने मिल्वॉकी में दिए गए उनके चार मिनट के भाषण में, उन्होंने अपने हिंदू धर्म और निजी आस्था के बारे में कुछ नहीं कहा.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनका हिंदू अमेरिकी होना अभी भी समुदाय के लिए गर्व की बात है, जबकि अन्य सवाल उठाते हैं कि क्या रिपब्लिकन पार्टी एक 'हिंदू सेकंड लेडी' के लिए वास्तव में तैयार है.
धर्म पर उषा वैंस की चुप्पी
उषा वैंस ने चुनाव से पहले अपने धर्म के बारे में चुप्पी साधी हुई है और इस पर एसोसिएटेड प्रेस से बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने इस बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया कि क्या वह हिंदू धर्म का पालन करती हैं या कैथलिक पति के साथ चर्च जाती हैं, या उनके तीन बच्चों को किस धर्म के तहत पाला जा रहा है.
सैन डिएगो में प्रोफेसर प्रवासी माता-पिता के हिंदू घर में पली-बढ़ी उषा वैंस ने पुष्टि की कि उनके बच्चों में से एक का भारतीय नाम है, और उनकी और जेडी वैंस की शादी भारतीय और अमेरिकी दोनों तरीकों से हुई थी. इन दोनों की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी.
उषा वैंस की हिंदू पृष्ठभूमि कुछ दक्षिण एशियाई मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है, जो डॉनल्ड ट्रंप के लिए एरिजोना, जॉर्जिया और नॉर्थ कैरोलाइना जैसे स्विंग राज्यों में फायदेमंद हो सकता है, जहां बड़े दक्षिण एशियाई समुदाय हैं. डेनवर यूनिवर्सिटी में हिंदू स्ट्डीज की प्रोफेसर दीपा सुंदरम कहती हैं कि कुछ भारतीय और हिंदू दक्षिणपंथी उषा वैंस को गले लगाने के लिए उत्सुक हो सकते हैं, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि यह पार्टी की सार्वजनिक रणनीति का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उनकी हिंदू पहचान पार्टी के लिए फायदे के बजाय एक बोझ है. ऐसा भी लगता है कि अभियान दोनों तरह से लाभ उठाना चाहता है: उषा शायद हिंदू हों, जो कि अच्छी बात है, लेकिन हम इसके बारे में बात नहीं करना चाहते."
सुंदरम ने कहा कि उषा वैंस खासकर उन हिंदू अमेरिकियों को आकर्षित करेंगी जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति का समर्थन करते हैं, जिनके तहत हिंदू राष्ट्रवाद का उभार हुआ है.
कुछ भारतीय अमेरिकी समुदायों के भीतर टैक्स, शिक्षा, भारत के साथ संबंध और जाति-विरोधी भेदभाव कानून जैसे मुद्दों पर गहरे मतभेद हैं, जो सिएटल और कैलिफॉर्निया में जोर पकड़ रहे हैं. जाति, जन्म या वंश के आधार पर लोग विभाजित हैं और संबंधित भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने के लिए अमेरिका में आह्वान बढ़ रहा है.
अब भी डेमोक्रैट हैं अधिकतर भारतीय
प्यू रिसर्च सेंटर के 2022 और 2023 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 10 में से 7 भारतीयों का झुकाव अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर है जबकि लगभग 3 में से 1 रिपब्लिकन पार्टी के करीबी हैं.
एएपीआई डेटा/एपी-नॉर्क सर्वेक्षणों से इस वर्ष की शुरुआत में पाया गया कि दक्षिण एशियाई अमेरिकियों में से 10 में से एक से भी कम, प्रमुख मुद्दों जैसे गर्भपात, बंदूक नीति और जलवायु परिवर्तन आदि के बारे में रिपब्लिकन पार्टी पर भरोसा करते हैं, जबकि लगभग आधे या अधिक डेमोक्रेटिक पार्टी पर अधिक भरोसा करते हैं।
फिर भी उषा वैंस, "एक सेकेंड लेडी जो हमारी तरह दिखती है और हमारी तरह बोलती है," उन मतदाताओं का ध्यान आकर्षित कर सकती हैं, जिन्हें रिपब्लिकन तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है, ऐसा कहना है ओहायो स्टेट सेनेटर नीरज अंटानी का, जो एक रिपब्लिकन और हिंदू अमेरिकी हैं और राज्य सेनेट के सबसे युवा सदस्य हैं.
उन्होंने कहा, "अगर रिपब्लिकन अल्पसंख्यक समूहों तक नहीं पहुंचते हैं, तो हम चुनाव हार जाएंगे."
39 वर्षीय बायोटेक उद्यमी विवेक रामास्वामी ने 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था और अब ट्रंप-वैंस का समर्थन करते हैं. उन्होंने पिछले साल जब ट्रंप के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए चुनाव लड़ा तो अभियान के दौरान अपने हिंदू धर्म को प्रमुखता से पेश किया. उन्होंने कहा कि हिंदू शिक्षाएं यहूदी-ईसाई मूल्यों के ही समान हैं. हालांकि वह प्राथमिक चुनाव हार गए थे.
उन्होंने उषा वैंस की धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
दक्षिणपंथियों की मजबूत मौजूदगी
बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में शोधकर्ता और एएपीआई डेटा के कार्यकारी निदेशक कार्तिक रामकृष्णन कहते हैं कि उषा वैंस की उनके धर्म पर चुप्पी और रामास्वामी की प्राथमिक चुनाव में हार इस बात का संकेत हो सकती है कि रिपब्लिकन पार्टी के कुछ हिस्सों के लिए ईसाई के अलावा किसी अन्य धर्म का होना अभी भी एक मुद्दा हो सकता है.
उन्होंने कहा, "कन्वेंशन के बाद हमने रिपब्लिकन पार्टी के भीतर अधिक लोगों को उषा और जेडी वैंस के खिलाफ बोलते देखा है. इससे मुझे लगता है कि गैर-ईसाई धार्मिक पहचान के बारे में खुला होने की एक राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ती है. अभी भी लंबा रास्ता तय करना है."
अंटानी ने ओहायो राज्य में चुनाव जीते हैं, जो मुख्यतः ईसाई और बहुत हद तक दक्षिणपंथी राज्य है. अपनी हिंदू पहचान को प्रमुखता से रखने वाले अंटानी कहते हैं, "रिपब्लिकन पार्टी में जो नस्लवाद है, वह नस्लवादियों से आ रहा है, न कि रिपब्लिकन से."
अंटानी ने उषा वैंस द्वारा आरएनसी में अपनी भारतीय विरासत के बारे में बात करने का स्वागत किया. वह मानते हैं कि रामास्वामी की हार इसलिए नहीं हुई क्योंकि वह हिंदू हैं, बल्कि इसलिए कि वह अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कम जानकार थे.
कैथलिक पति की हिंदू पत्नी
जेडी वैंस ने 2019 में कैथलिक धर्म अपनाया था. वह कहते हैं कि अब वह और उनका परिवार चर्च को अपना घर मानते हैं. उनके प्रचार अभियान दल ने इस बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया कि क्या उनके तीन बच्चों ने भी कैथलिक धर्म अपना लिया है. उन्होंने इस बारे में काफी बात की है कि कैसे उनकी पत्नी ने उन्हें कैथलिक विश्वास अपनाने में मदद की, जब वह एक आध्यात्मिक यात्रा के दौरान उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे थे, क्योंकि उन्हें प्रोटेस्टेंट के रूप में पाला गया था और कॉलेज में वह नास्तिक बन गए थे.
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक, सुहाग शुक्ला ने कहा कि उषा वैंस ने अपने पति को कैथलिक बनने की उनकी धार्मिक यात्रा में प्रेरित किया, "यह हिंदू मूल्यों की सबसे बड़ी पहचान है."
उन्होंने कहा, "हिंदू धर्म अपने स्वयं के मार्ग को खोजने और अपनी आध्यात्मिकता से जुड़ने के बारे में है. हिंदू की परिभाषा किसी ऐसे व्यक्ति से हो सकती है जो मंदिर जाता है और अनुष्ठान करता है. या फिर ऐसा व्यक्ति जो दिवाली जैसे त्योहार मनाता है या केवल ध्यान जैसी आध्यात्मिक प्रक्रियाओं तक ही सीमित है.”
शुक्ला ने कहा कि उषा वैंस हिंदू अमेरिकियों द्वारा किए गए सकारात्मक योगदान का एक उदाहरण हैं, और उनके अंतरधार्मिक विवाह और विभिन्न दृष्टिकोणों को सुनने की उनकी क्षमता हिंदू शिक्षाओं की ही पहचान है.
उन्होंने कहा, "हिंदू अमेरिकी आत्मसात करते हैं, लेकिन साथ ही वे अपनी परंपरा और संस्कृति से मिली प्रेरणा को भी थामे रहते हैं. हमारी बहुलवादी पृष्ठभूमि हमें विभिन्न लोगों के साथ बिना अपनी पहचान खोए मिल-जुल कर रहने में सक्षम बनाती है."
वीके/एए (एपी)