Uttarakhand High Court: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश में कहा है कि शारीरिक अक्षमता के कारण प्रकृति के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने से पत्नी का इनकार उसके पति के प्रति मानसिक क्रूरता नहीं है. लाइव लॉ डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की पीठ ने एक पति द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है.
दरअसल, याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे अपनी पत्नी (प्रतिवादी संख्या 2) को हर महीने 25 हजार रुपये और अपने बेटे (प्रतिवादी संख्या 3) को 20 हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में देने का निर्देश दिया गया था.
अपनी याचिका में महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उसकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार गुदा मैथुन किया, जिससे उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हुईं. इतना ही नहीं पति ने उसे मजबूर करने के लिए अपने बच्चे को अश्लील वीडियो भी दिखाए. इससे परेशान होकर वह घर छोड़कर चली गई. वहीं, पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए शख्स ने यह दलील दी कि उसने अपनी पत्नी के मनोरंजन के लिए ये सब किया था, क्योंकि गुदा मैथुन कोई अपराध नहीं है. उसने शादी के वक्त किसी भी तरह का दहेज भी नहीं मांगा था.
हालांकि, सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 के पास पुनरीक्षणकर्ता से अलग रहने के पर्याप्त कारण थे, इसलिए पति को कोई राहत प्रदान नहीं की जा सकती है.