इथियोपिया की ज्वालामुखी राख कब हटेगी भारत के आसमान से? जानें IMD ने क्या कहा
Ethiopian Volcano ash reaches India | X

दिल्ली की हवा पहले ही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है और इसी बीच इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट से उठे राख के बादल भारत की ओर बढ़ते दिखाई दिए. इससे लोगों में चिंता बढ़ी कि कहीं हवा और खराब न हो जाए. हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने साफ कर दिया है कि यह राख दिल्ली की हवा को नुकसान नहीं पहुंचाएगी और यह बादल मंगलवार शाम 7:30 बजे तक भारत के आसमान से पूरी तरह निकल जाएगी.

IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी से उठी राख भारत के ऊपर से गुजर जरूर रही है, लेकिन यह बहुत ऊंचाई पर है, जहां से यह जमीन के प्रदूषण स्तर को प्रभावित नहीं कर सकती. राख का यह गुबार अब चीन की ओर बढ़ रहा है और शाम तक पूरी तरह भारत से बाहर हो जाएगा.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हवा पहले से खराब है, लेकिन इसका कारण स्थानीय फैक्ट्रियों, वाहनों और मौसम संबंधी स्थितियां हैं. ज्वालामुखी राख का इससे कोई लेना-देना नहीं.

दिल्ली की हवा बनी खतरनाक

हालांकि राख से कोई खतरा नहीं है, लेकिन दिल्ली की समस्या अपनी जगह गंभीर बनी हुई है. मंगलवार सुबह इंडिया गेट और कर्तव्य पथ के आसपास घना स्मॉग छाया रहा. CPCB के अनुसार सुबह का AQI 328 दर्ज हुआ, जो कि ‘बेहद खराब श्रेणी में आता है.

इस स्तर की हवा सांस लेने में दिक्कत बढ़ा सकती है, बुजुर्गों और बच्चों के लिए बेहद हानिकारक है और लंबे समय तक रहने पर फेफड़ों पर असर डाल सकती है.

हवाई यात्रा पर संकट

ज्वालामुखी राख का सबसे बड़ा प्रभाव एविएशन सेक्टर पर पड़ रहा है. DGCA ने सोमवार को सभी एयरलाइंस को अलर्ट जारी किया है, क्योंकि सैटेलाइट तस्वीरों में राख के बादलों को भारतीय हवाई क्षेत्र की ओर बढ़ते देखा गया. राख के कारण कई उड़ानें देरी हुई है, कुछ रूट बदले गए हैं और और कई फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं.

ज्वालामुखी की राख इंजन के लिए बेहद खतरनाक होती है क्योंकि यह इंजन के अंदर जाकर उसे जाम कर सकती है, इसलिए विमान राख वाले क्षेत्रों से बिल्कुल नहीं गुजर सकते.

DGCA ने एयरलाइंस को निर्देश दिया कि वे राख प्रभावित जोन से दूर रहें, उड़ान रूट में बदलाव करें और रीयल-टाइम अलर्ट देखकर ईंधन की प्लानिंग करें.

विशेषज्ञों का कहना है कि ऊंचाई पर SO₂ गैस का स्तर बढ़ सकता है, जिसका असर नेपाल, हिमालय और यूपी के तराई क्षेत्रों पर पड़ सकता है.