Surgical Strike: कब, क्यों और कैसे होता है सर्जिकल स्ट्राइक? जानें दुनिया के छह बड़े सर्जिकल स्ट्राइकों की कहानीं
सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical strike)सेना द्वारा किया गया एक गुप्त मिशन होता है, जिसमें अमूमन रात्रि के प्रहर में निर्धारित लक्ष्य पर पहुंच कर उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है. अपने मिशन को पूरा करने के लिए सेना बकायदा पूरी तैयारी करती है. गौरतलब है कि मिशन विशेष के लिए निर्धारित कमांडोज को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है. सेना द्वारा अपने कमांडोड को अमुक स्थान पर पहुंचाया जाता है. कमांडोज उस स्थान पर जाकर सौंपे गये कार्य को अंजाम देते है, और सुरक्षित वापस आने का प्रयास करते हैं. आइये जानें सर्जिकल स्ट्राइक को कैसे अंजाम दिया जाता है.
क्या है सर्जिकल स्ट्राइक?
सर्जिकल स्ट्राइक वस्तुतः दुश्मन के राडार से मिशन पर जानेवाली टीम को सुरक्षित रखते हुए एक सुनियोजित सैन्य कारवाई होती है, इसका मुख्य उद्देश्य किसी निश्चित लक्ष्य पर पूरी शक्ति के साथ हमला कर उसे तबाह करना होता है. किसी समय छत्रपति शिवाजी कुछ इसी शैली में 'गुरिल्ला युद्ध' किया करते थे. अलबत्ता सर्जिकल स्ट्राइक के अभियान में इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है, कि इससे आम एवं निर्दोष लोगों तथा सम्पत्तियों को किसी तरह का कोई नुकसान न हो.
कैसे करते हैं सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक करने से पूर्व घटना को अंजाम देने वाली जगह का खुफिया निरीक्षण किया जाता है. इसके बाद सही समय का चुनाव कर बड़े गोपनीय तरीके तरीके से दस्ते को लक्ष्य तक पहुंचाया जाता है. अमुक जगह पर पहुंचते ही दस्ते को बिना वक्त गंवाएं और दुश्मन को संभलने का अवसर दिये बिना उन पर हमला कर दिया जाता है. मिशन सफल हो इसके लिए सरकार, सेना और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल बना रहता है.
दुनिया की छह बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक
उरी में 17 सैनिकों की हत्या के बाद हुआ सर्जिकल स्ट्राइक
18 सितंबर 2016 को पाक समर्थित आतंकियों द्वारा उरी सेक्टर में 17 भारतीय सेना पर हमला कर 18 सैनिकों को मार दिया गया था. आतंकियों के इस कारनामें के जवाब में भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर की रात पीओके स्थित 7 आतंकी ठिकानों को बड़े गुपचुप तरीके से ध्वस्त करते हुए वहां के सारे आतंकियों को मार गिराया और सूर्योदय होने से पूर्व भारतीय सेना बिना किसी खरोंच के अपनी सरजमीं पर पहुंच गयी थी.
पुलवामा हमले का बदला पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. उनकी मौत का बदला भारतीय वायुसेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था. 26 फरवरी की भोर में करीब 3:30 बजे वायुसेना के 12 मिराज विमानों ने पीओके स्थित बालाकोट में घुसकर उनके आतंकी अड्डों को पूरी तरह से ध्वस्त किया. 21 मिनट तक चले इस सर्जिकल स्ट्राइक में 200 से 300 आतंकियों के मारे जाने की खबर थी. इस पूरी कार्रवाई में 12 मिराज विमानों द्वारा आतंकियों के कैंपों पर 1000 किलो बम बरसाए गये थे, और जब तक पाकिस्तानी सेना को इस हमले की खबर मिलती भारतीय सेना का दस्ता सुरक्षित अपने वतन की धरती पर पहुंच चुका था.
ऑपरेशन हॉट परश्यूट
चंदेल डिस्ट्रिक (मणिपुर) में उग्रादियों द्वारा 4 जून, 2015 को भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 18 जवान शहीद हुए थे. इसके जवाब में भारतीय सेना ने करीब 70 भारतीय कमांडो को म्यांमार के जंगलों में सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भेजा. भारतीय सेना ने इस मिशन को ‘ऑपरेशन हॉट परश्यूट’ का नाम दिया. यह पूरा मिशन बहुत ही गोपनीय तरीके से रचा गया था. सेना को खुफिया जानकारी मिली थी कि नगालैंड में सक्रिय एनएससीएन-खापलांग के उग्रवादी भारतीय जवानों पर हमला कर सीमा पार म्यांमार में छिपे हुए हैं. तब भारतीय सेना के एलीट पैराट्रूपर्स दस्ते ने NSCN-K उग्रवादियों के बेस पर चारों तरफ से अचानक हमला कर दिया. 40 मिनट चले इस ऑपरेशन में 38 उग्रवादियों मारे गये थे.
ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर
अमेरिका में 9/11 हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को अमेरिका की सील टीम ने उसी के घर में घुसकर मौत की नींद सुला दिया था. इस सर्जिकल स्ट्राइक में 23 मेंबर्स की सील टीम दो हेलीकॉप्टर में भरकर अपने लक्ष्य पर पहुंची. सील टीम ने लादेन के तीन मंजिला की इमारत को लक्ष्य में लेते हुए पहले लादेन के बेटे को मारा. इसके बाद सील टीम लादेन के ठिकाने पर पहुंची और उसे वहीं मार दिया गया.
युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे पर सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक के इतिहास में युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे में इजराइल रक्षा बलों के इस मिशन को कभी भुलाया नहीं जा सकता. जून 1976 में, फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए एक गुट के सदस्यों ने एक एयर फ्रांस का विमान अपहरण कर लिया और इसे युगांडा के एंटेबे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के लिए बाध्य किया. तत्कालीन युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने बंधकों को छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं किया. इस हमले में करीब सौ इजरायली कमांडो ने हिस्सा लिया था और सभी आतंकवादियों को मार गिराया. हांलाकि इस अभियान में तीन विमान यात्री मारे गये थे, लेकिन इजरायली सैनिकों की चौकसी और सतर्कता से शेष सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया.
इजरायली सेना के खुफिया एजेंसी की स्ट्राइक
1972 में ओलंपिक खेलों के आयोजन के दौरान ओलंपिक विलेज में घुसे फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के आतंकवादियों ने 11 इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बनाने के बाद जेलों में बंद 234 फलस्तीनियों को रिहा करने की मांग की. इजरायली सेना तुरंत हरकत में आयी. उन्होंने खुफिया एजेंसी मोसाद टीम के शॉर्प शूटरों के साथ मिलकर आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. चारों तरफ से घिर चुके आतंकियों ने खिलाड़ियों पर गोलियां बरसानी शुरू की. उन्होंने इजरायली खिलाड़ियों से भरे हेलीकॉप्टर पर गोलियां बरसानी शुरू की. इस हमले में इजरायल के 9 खिलाड़ी मारे गये. इजरायली सेना ने सैकड़ों खिलाड़ियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. उनके हमले में 8 आतंकी भी मारे गए.