Parliament Special Session: जब पहली बार संसद भवन पहुंचे थे नरेंद्र मोदी... PM ने सुनाया किस्सा | VIDEO

पीएम मोदी ने कहा, 'जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन (संसद) में प्रवेश किया, तो मैंने झुककर लोकतंत्र के मंदिर का सम्मान किया. यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण था.'

Parliament Special Session: जब पहली बार संसद भवन पहुंचे थे नरेंद्र मोदी... PM ने सुनाया किस्सा | VIDEO
PM Modi | ANI

नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोकसभा को संबोधित किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने वह समय याद किया जब वह उन्होंने पहली बार संसद में कदम रखा था. पीएम मोदी ने कहा, 'जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन (संसद) में प्रवेश किया, तो मैंने झुककर लोकतंत्र के मंदिर का सम्मान किया. यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण था. मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि एक बच्चे का संबंध होगा रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक गरीब परिवार कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे लोगों से इतना प्यार मिलेगा." PM मोदी बोले- पुराना संसद भवन देश के लोगों के पसीने से बना है.

पुराने संसद भवन के भीतर संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है और हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है." उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है.'

पहली बार संसद में जाना भावनात्मक क्षण: PM मोदी 

संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा इसका एक बार पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है. हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. आज़ादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था. आज़ादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह सही है कि इस इमारत(पुराने संसद भवन) के निर्माण करने का निर्णय विदेश शासकों का था लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे.


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