Geneva Convention: जानिए क्या है जेनेवा समझौता और किस तरह से यह युद्धबंदियों के अधिकारों की करता है रक्षा?  

जेनेवा संधि युद्धबंदियों के अधिकारों की रक्षा करने का भरोसा दिलाता है. इस समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के दौरान मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: PTI)

Geneva Convention: पाकिस्तान के बालाकोट (Balakot), मुजफ्फराबाद (Muzzafarabad) और चकोटी (Chakoti) में जैश-ए-मोहम्मद (Jais-e-Mohammad) के आतंकी कैंपों के खिलाफ भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के एयर स्ट्राइक के महज एक दिन बाद बुधवार को पाकिस्तान वायुसेना ने भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया, जिसका भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. इस कार्रवाई में पाकिस्तान के एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराने में कामयाबी मिली तो वहीं भारत ने भी मिग-21 विमान खो दिया. पाकिस्तान की इस कायराना हरकत के बाद विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) और वायुसेना ने इस बात की पुष्टि की कि एक भारतीय पायलट पाकिस्तान की हिरासत में है.

पाकिस्तान ने दावा भी किया कि उन्होंने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान (Abhinandan Varthaman) को पकड़ लिया है और उसने बकायदा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया. जिसमें लोगों की भीड़ पाकिस्तान की गिरफ्त में आए भारतीय पायलट को पीटते हुए दिखाई दे रही है. हालांकि कुछ देर बाद ही इस वीडियो को पाकिस्तान सरकार के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से हटा दिया गया.

दरअसल, विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर यह आरोप लगाया है कि एक घायल भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर की छवि को सोशल मीडिया पर साझा करके उसने जेनेवा संधि (Geneva Conventions) का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही यह चेतवनी भी दी कि उसकी हिरासत में आए पायलट को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए. उधर, पाक सेना के डीजी और आईएसपीआर के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि भारतीय पायलट को मिलिट्री एथिक्स यानी सैन्य नैतिकता के मानदंडों के अनुसार रखा गया है. यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने लापता पायलट को लेकर जताई चिंता, कहा- उम्मीद है वो सही सलामत वापस लौटेंगे

जानें क्या है जिनेवा संधि ?

जेनेवा संधि युद्धबंदियों (prisoner of war) (POW) के अधिकारों की रक्षा करने का भरोसा दिलाती है. इस समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के दौरान मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है. बता दें कि मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि साल 1864 में हुई थी, दूसरी संधि 1906 और तीसरी संधि 1929 में हुई थी. सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद साल 1949 में कुल 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी.

क्या कहती है जेनेवा संधि? 

दिशा-निर्देशों का करना होता है पालन 

जेनेवा संधि में युद्ध के दौरान गिरफ्तार किए गए सैनिकों और घायल लोगों के अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश दिए गए हैं. जिनके अनुसार, युद्धबंदियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए. उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव या फिर उन्हें डराया-धमकाया नहीं जा सकता. घायल सैनिकों का उपचार कराया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी. इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है.

गौरतलब है कि इस संधि में  यह बताया गया है कि युद्धबंदियों के क्या अधिकार हैं. इसके साथ ही इस समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायल हुए लोगों की उचित देखभाल और आम लोगों की सुरक्षा का जिक्र किया गया है.

 

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