Weather Forecast: बंगाल की खाड़ी में बन रहा कम दबाव का क्षेत्र, UP समेत इन राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

IMD के अनुसार, यह कम दबाव का क्षेत्र अगले 2 दिनों में उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश और गंगीय पश्चिम बंगाल के आस-पास के क्षेत्रों में फैल सकता है. इसके बाद, यह झारखंड और आस-पास के क्षेत्रों की ओर पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा.

Representational Image | PTI

नई दिल्ली: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को बताया कि बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के आस-पास के क्षेत्रों में कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिसकी वजह से अगले 3-4 दिनों के दौरान पूर्वी और मध्य भारत में बारिश बढ़ने की संभावना है. इसके असर से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र समेत उत्तर प्रदेश और पूर्वी भारत में अगले 6-7 दिनों के दौरान भारी बारिश की चेतावनी है.

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IMD के अनुसार, यह कम दबाव का क्षेत्र अगले 2 दिनों में उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश और गंगीय पश्चिम बंगाल के आस-पास के क्षेत्रों में फैल सकता है. इसके बाद, यह झारखंड और आस-पास के क्षेत्रों की ओर पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा में आगे बढ़ेगा.

IMD के महानिदेशक एम. मोहापात्रा ने कहा, "कम दबाव का क्षेत्र गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश को पार करते हुए राजस्थान की ओर बढ़ेगा. अगले तीन दिनों के बाद, उत्तर-पश्चिम भारत में भारी बारिश की उम्मीद की जा सकती है."

मौसम विभाग ने यह भी कहा कि समुद्र तल पर मानसून की धारा इस सप्ताह सक्रिय रहेगी और अपनी सामान्य स्थिति के करीब बनी रहेगी. इस बीच, राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों और आस-पास के क्षेत्रों में एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है, जो मध्य ट्रोपोस्फेरिक स्तरों तक फैला हुआ है. दक्षिणी कर्नाटक और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भी एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, जिससे उत्तर आंतरिक कर्नाटक से लेकर कोमोरिन क्षेत्र तक के निचले ट्रोपोस्फेरिक स्तरों में बारिश हो सकती है.

IMD ने अगले 2-3 दिनों में केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है. 1 जून से अब तक देश में सामान्य से 5% अधिक बारिश हुई है. केंद्रीय भारत में 12% अधिक बारिश, दक्षिण प्रायद्वीप में 20% अधिक बारिश, उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश और पूर्वी एवं उत्तर-पूर्व भारत में 12% की कमी दर्ज की गई है.

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