देश के CJI बोबडे ने नागपुर में न्यायाधीशों और वकीलों के साथ खेला क्रिकेट, देखें वीडियो

देश के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने आज महाराष्ट्र के नागपुर शहर में न्यायाधीशों और वकीलों के साथ क्रिकेट खेला. बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने बीते शनिवार को नागपुर यूनिवर्सिटी के 107वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया.

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) शरद अरविंद बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने आज महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर (Nagpur) शहर में न्यायाधीशों और वकीलों के साथ क्रिकेट खेला. बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने बीते शनिवार को नागपुर यूनिवर्सिटी के 107वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'यूनिवर्सिटी को नेता तैयार करने वाली इकाई की तरह काम नहीं करना चाहिए. ये केवल ईंट और गारे से बनी इमारत नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण बात, 'एक विश्वविद्यालय का विचार यह है कि हम एक समाज के रूप में क्या हासिल करना चाहते हैं?

बता दें कि न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश हैं. उन्हें देश के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर 2019 को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सिफारिश की थी. शरद अरविंद बोबडे का कार्यकाल 18 महीनें का है. वह 23 अप्रैल 2021 में रिटायर होंगे.

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे का जन्म नागपुर में 24 अप्रैल, 1956 में हुआ हुआ था. उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक किया और कानून की डिग्री ली. उन्हें 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के रॉल के लिए नामांकित किया गया और 1998 में वह वरिष्ठ अधिवक्ता बनें.

न्यायाधीश के तौर पर उनका करियर 29 मार्च, 2000 को शुरू हुआ, जब उन्हें बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. इसके बाद 16 अक्टूबर, 2012 को वह मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिए गए. 12 अप्रैल, 2013 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. न्यायमूर्ति बोबडे भारतीय इतिहास में सबसे लंबे चले अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य रह चुके हैं.

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इसके अतिरिक्त वह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों से संबंधित विवादित मामले की आंतरिक समिति के सदस्य रहे और उन्होंने पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई आधार नहीं मिलने का हवाला देकर गोगोई को निर्दोष करार दे दिया था.

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