Waste to Wealth: क्या है स्टील स्लैग रोड तकनीक, पर्यावरण संरक्षण के साथ देश को मिल रही मजबूत सड़क
Steel Slag Road (Photo Credit : Twitter)

आत्मनिर्भर भारत में वेस्ट टू वेल्थ' की मुहिम मजबूत हो रही है. ऐसे में अब स्टील स्लैग रोड तकनीक पीएम मोदी के ‘वेस्ट टू वेल्थ' मिशन को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) के ‘वन वीक वन लैब’ कार्यक्रम के तहत केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने बताया कि गुजरात के सूरत में स्टील स्लैग रोड विनिर्माण तकनीक से पहली सड़क बनी. इसको तैयार करने में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक गिट्टी और रोड़ी का उपयोग नहीं किया गया.

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राष्ट्र है और देश में ठोस अपशिष्ट के रूप में लगभग 19 मिलियन टन इस्पात धातुमल उत्पन्न होता है, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर 60 मिलियन टन हो जायेगा. (एक टन स्टील उत्पादन में लगभग 200 किलोग्राम इस्पात धातुमल उत्पन्न होता है). केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस्पात अपशिष्ट के निपटान तरीके न होने के कारण ही इस्पात संयंत्र के आसपास इस्पात धातुमल के विशाल ढेर लग गए हैं. यही अपशिष्ट जल, वायु और भूमि प्रदूषण का एक प्रमुख कारक बन गए थे.

एक लाख टन स्टील स्लैग अपशिष्ट का उपयोग

ऐसे में गुजरात के सूरत में स्टील स्लैग रोड तकनीक से बनी पहली सड़क राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अपनी तकनीकी उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हो गई है. आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील के हजीरा इस्पात संयंत्र से CRRI के तकनीकी मार्गदर्शन में इस सड़क के निर्माण के दौरान लगभग एक लाख टन स्टील स्लैग अपशिष्ट का उपयोग किया गया है. इसको तैयार करने में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक गिट्टी और रोड़ी का उपयोग नहीं किया गया है.

इन सड़कों का भी स्टील स्लैग से हुआ निर्माण

इसके अलावा BRO ने भारत-चीन सीमा पर CRRI और टाटा स्टील के साथ मिलकर अरुणाचल प्रदेश में स्टील स्लैग रोड का निर्माण किया है, जो भारत पारंपरिक सड़कों की तुलना में काफी लंबे समय तक टिकी रहती हैं. इसी प्रकार से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी CRRI द्वारा दिये गए तकनीकी मार्गदर्शन में JSW स्टील के सहयोग से राष्ट्रीय राजमार्ग-66 (मुंबई-गोवा) पर सड़क निर्माण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है.

क्या है स्टील स्लैग रोड तकनीक

यह तकनीक भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय तथा देश की चार प्रमुख इस्पात निर्माता कंपनियों आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील और राष्ट्रीय इस्पात निगम के सहयोग से एक शोध परियोजना के तहत केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है. यह तकनीक इस्पात संयंत्रों के अपशिष्ट इस्पात धातुमल यानि स्टील स्लैग के बड़े पैमाने पर सदुपयोग की सुविधा प्रदान करती है और देश में उत्पन्न लगभग 19 मिलियन टन स्टील स्लैग के प्रभावी निपटान में बहुत उपयोगी साबित हुई है. गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश सहित देश के चार प्रमुख राज्यों में सड़क निर्माण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है.

केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह ने ये भी बताया कि इस्पात मंत्रालय पूरे देश में स्टील स्लैग सड़क निर्माण तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है.