VIDEO: संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान पथराव-आगजनी, उग्र भीड़ पर पुलिस का लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल

संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार सुबह उग्र भीड़ ने पथराव और आगजनी की, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. सर्वे टीम में डीएम, एसपी और हिंदू पक्ष के वकील शामिल थे. कोर्ट के आदेश पर प्रशासन को एक हफ्ते में रिपोर्ट पेश करनी है, और 29 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई होगी.

संभल: रविवार सुबह जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा से पूरे शहर में हलचल मच गई. इस सर्वे के दौरान अचानक उग्र भीड़ ने पथराव और आगजनी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले फेंकने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा. यह घटना शहर के लिए एक गंभीर स्थिति बन गई है, जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है.

क्या था पूरा मामला?

रविवार सुबह लगभग 6 बजे, जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) के नेतृत्व में एक टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी. टीम के पहुंचने के कुछ ही देर बाद मस्जिद के पास बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए और इस सर्वे का विरोध करना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि छुट्टी के दिन सुबह-सुबह सर्वे क्यों किया जा रहा है. देखते ही देखते यह विरोध बढ़कर एक हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ में बदल गया.

पथराव और भगदड़ के बाद पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज

जब पुलिस ने इस भीड़ को मस्जिद के अंदर जाने से रोकने की कोशिश की, तो विरोध कर रहे लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. पथराव की घटना के बाद पुलिस को स्थिति संभालने में मुश्किलें आने लगीं और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. इस बीच पुलिस ने कई बार भीड़ को काबू करने की कोशिश की, लेकिन जब स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई, तो उन्हें लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े. इस हिंसक माहौल में कई लोग भागते हुए सड़क पर अपने चप्पल-जूते छोड़ गए.

सर्वे के आदेश के बाद हुआ विवाद

यह सर्वे कोर्ट के आदेश पर किया जा रहा था. 19 नवंबर को हिंदू पक्ष ने अदालत में यह याचिका दायर की थी कि जामा मस्जिद में श्री हरिहर मंदिर का अस्तित्व है और इसके सर्वे की जरूरत है. कोर्ट ने इस मामले में प्रशासन को सर्वे कराकर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था. इसी आदेश के बाद प्रशासन की टीम रविवार को दोबारा सर्वे के लिए पहुंची थी.

हिंदू पक्ष का कहना है कि 1529 में बाबर के शासनकाल में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था, और इस भूमि पर पहले श्री हरिहर मंदिर था. यह विवाद पिछले कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, और अब प्रशासन को कोर्ट के आदेश के तहत रिपोर्ट 26 नवंबर तक पेश करनी है. इस मामले में 29 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.

स्थिति अभी भी तनावपूर्ण

सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है. पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल की तैनाती की है, और आसपास के थानों से अतिरिक्त फोर्स भी बुलाए गए हैं. डीएम और एसपी मौके पर मौजूद हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं.

यह घटना एक बार फिर से यह दिखाती है कि धार्मिक स्थलों पर विवाद और राजनीति का असर किस तरह से स्थानीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है. प्रशासन और पुलिस को इन घटनाओं को लेकर गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी हिंसा और तनाव से बचा जा सके.

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