भगोड़े माल्या ने सार्वजनिक की PM मोदी को लिखी चिट्ठी, लिखा- मुझे बैंक फ्रॉड का पोस्टर ब्वॉय बना दिया गया
विजय माल्या (Photo Credit: IANS)

नई दिल्ली: भारतीय बैंकों को करोड़ों रुपए की चपत लगाकर विदेश भागने वाले उद्योगपति विजय माल्या ने पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को 2016 में लिखा पत्र सार्वजनिक किया है. लंदन में रह रहे माल्या को ब्रिटेन की हार्इ् कोर्ट ने हाल ही में तगड़ा झटका देते हुए भारतीय बैंकों को हर्जाना देने का आदेश दिया था.

भगोड़े शराब कारोबारी ने यह पत्र अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया है. इसमें कहा गया है कि वह बैंकों का पैसा चुकाने को तैयार है. माल्या का कहना है कि उसने कर्ज नहीं चुकाने को लेकर 2016 में ही पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा था.

पांच पन्नो के लेटर में माल्या ने आगे लिखा है कि उसके पत्र का अबतक कोई जवाब नहीं मिला है. इसलिए वह अपना पत्र सार्वजनिक कर रहा है. पत्र में माल्या ने यह भी कहा कि वह भारत में अब बैंक डिफॉल्ट का पोस्टर ब्वॉय बन गया है.

यह पत्र ऐसे समय में जारी किया गया है जब विजय माल्या को ब्रिटेन की कोर्ट ने भारतीय बैंकों को कम से कम 2 लाख पाउंड करीब 1.81 करोड़ रुपये हर्जाने के तौर पर देने को कहा है. कोर्ट का मूल आदेश यह है कि किसी रकम पर दोनों पक्ष सहमत हो जाएं या कोर्ट बैंकों द्वारा कानूनी प्रक्रिया पर खर्च की गई रकम का आकलन करे.

मुंबई की विशेष अदालत ने माल्या को तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश भी दिए है. ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ नई चार्जशीट दायर की है. इस चार्जशीट के साथ ईडी अदालत से भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश के तहत माल्या एवं उसकी कंपनियों की नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को तत्काल जब्त करने की स्वीकृति मांगी है.

ईडी ने कहा कि माल्या कई समन के बावजूद भी जाँच के लिए हाजिर नहीं हो रहा है ऐसे में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरेंट जारी किया जाए. अधिकारियों ने कहा कि नया आरोपपत्र भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत पर आधारित है.

माल्या किंगफिशर एयरलाइंस के 9000 करोड़ रुपये के कर्ज न चुका पाने के मामले में भारत में वांछित है. वह पिछले वर्ष मार्च में ब्रिटेन भाग गया था. भारत सरकार ने पिछले वर्ष जून में भगोड़े व्यापारी को प्रत्यर्पित करने के लिए ब्रिटेन को दस्तावेज सौंपे थे.