Vijay Diwas 2023: पीएम मोदी व मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश को दी विजय दिवस की शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को देश को विजय दिवस की शुभकामनाएं दीं. एक्स में एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने कहा, "आज, विजय दिवस पर, हम उन सभी बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने 1971 में निर्णायक जीत सुनिश्चित करते हुए कर्तव्यनिष्ठा से भारत की सेवा की.
नई दिल्ली, 16 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को देश को विजय दिवस की शुभकामनाएं दीं. एक्स में एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने कहा, "आज, विजय दिवस पर, हम उन सभी बहादुर नायकों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने 1971 में निर्णायक जीत सुनिश्चित करते हुए कर्तव्यनिष्ठा से भारत की सेवा की." प्रधान मंत्री ने कहा, "उनकी वीरता और समर्पण देश के लिए अत्यधिक गर्व का स्रोत है. उनका बलिदान और अटूट भावना हमेशा लोगों के दिलों और हमारे देश के इतिहास में अंकित रहेगी. भारत उनके साहस को सलाम करता है और उनकी अदम्य भावना को याद करता है."
खड़गे ने भी राष्ट्र को शुभकामनाएं दीं और एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "1971 में आज ही के दिन दुनिया का भूगोल बदल गया था, जब हमारे बहादुर भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश को आजाद कराया. इंदिरा गांधी की गतिशील और निर्णायक नेतृत्व के तहत मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था." खड़गे ने लिखा, "हम अपने सशस्त्र बलों और मुक्ति वाहिनी के अदम्य साहस, वीरता और दृढ़ संकल्प को नमन करते हैं." यह भी पढ़ें : UP: गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन के समय CM योगी ने कहा- मत हों परेशान, हर समस्या का होगा समाधान
1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का सम्मान करने और देश के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. 13 दिनों की लड़ाई के बाद, भारत ने 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान पर शानदार जीत हासिल की, इससे पूर्व पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश का निर्माण हुआ.
इस महत्वपूर्ण दिन पर, पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था.