देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को धराली गांव के पास बादल फटने (Cloudburst) की घटना ने भारी तबाही मचाई. इस हादसे में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से जान-माल का नुकसान हुआ है. अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 9 आर्मी जवानों सहित 50 से अधिक लोग लापता हैं. गुरुवार को इस आपदा के तीसरे दिन भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य में जुटी रही. सेना के मुताबिक अब तक 70 नागरिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है.
वहीं सरकार के आंकड़ों के अनुसार 274 तीर्थयात्रियों और आम लोगों को गंगोत्री और आसपास के इलाकों से सुरक्षित निकाला गया है.
9 आर्मी जवानों का कोई सुराग नहीं
इस आपदा में 9 भारतीय सेना के जवान लापता हैं, जिनमें एक जूनियर कमीशंड अधिकारी भी शामिल है. सेना ने बताया कि बचाव कार्य में तैनात जवानों के अलावा खोजी कुत्तों (Cadaver Dogs), रडार उपकरण और विशेष मेडिकल टीमें भी इस खोज अभियान का हिस्सा हैं.
हवाई मदद से तेज हुआ राहत कार्य
राहत कार्य में वायुसेना की भूमिका भी अहम हो गई है. देहरादून के जोलीग्रांट एयरपोर्ट से चिनूक (Chinook) हेलिकॉप्टर उड़ान भर चुके हैं, जबकि Mi-17 हेलिकॉप्टर मौसम की स्थिति सुधरने पर उड़ान भरने को तैयार हैं. मतली हेलीपैड पर एक अस्थायी एयरबेस भी तैयार किया जा रहा है ताकि रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाई जा सके.
रास्ते बंद, पुल क्षतिग्रस्त
बारिश और भूस्खलन के कारण धराली, हरसिल, लिंचिगाड़, गंगनानी और बड़तवाड़ी जैसे इलाकों में सड़क संपर्क पूरी तरह से बाधित हो गया है. बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बताया कि चार प्रमुख भूस्खलन क्षेत्रों और एक क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत की जा रही है. अगले तीन दिनों में हरसिल तक सड़क खोलने की योजना बनाई गई है.
घायलों का इलाज
एम्स ऋषिकेश की निदेशक मीनू सिंह के अनुसार बादल फटने से घायल तीन मरीज अस्पताल में लाए गए हैं, जिनमें से एक की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट है. दो अन्य को देहरादून के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
अगले 48 घंटे बेहद अहम
सेना और राहत एजेंसियों ने अगले 24 से 48 घंटों की कार्ययोजना तैयार कर ली है. इसमें पैराट्रूपर्स और मेडिकल टीमों को चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए हरसिल पहुंचाना, NDRF और डॉक्टरों को नेलोंग क्षेत्र में भेजना, और टेहला तथा उत्तरकाशी से सड़क मार्ग को फिर से खोलना शामिल है. इसके अलावा नेलोंग से पर्यटकों की वापसी भी हवाई मार्ग से कराई जाएगी.













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