VIDEO: रातभर चली तपोवन सुरंग में जिंदगी बचाने की जद्दोजहद, देखें रेस्क्यू ऑपरेशन का ताजा हाल
उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में 2.5 किलोमीटर लंबी तपोवन सुरंग (Tapovan Tunnel) में बचाव अभियान रातभर चलता रहा. सुरंग में करीब 30 लोगों के फंसे होने की आशंका है. जिसके चलते रेस्क्यू टीमों ने सुरंग में से कीचड़ और मलबे को हटाने का काम रात में भी जारी रखा.
देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में 2.5 किलोमीटर लंबी तपोवन सुरंग (Tapovan Tunnel) में बचाव अभियान रातभर चलता रहा. सुरंग में करीब 30 लोगों के फंसे होने की आशंका है. जिसके चलते रेस्क्यू टीमों ने सुरंग में से कीचड़ और मलबे को हटाने का काम रात में भी जारी रखा. लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान युद्ध स्तर पर जारी है और लापता व्यक्तियों की तलाश के लिए एक साथ सभी प्रयास किए जा रहे हैं. हिमस्खलन में तपोवन पनबिजली परियोजना को नुकसान: NTPC
उत्तराखंड में जोशीमठ के पास आए सैलाब के बाद अब तक 26 शव बरामद किए जा चुके हैं. इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्य में हुई त्रासदी के पीछे भूस्खलन को प्रमुख वजह बताते हुए कहा कि भूस्खलन से ही हिमस्खलन शुरू हुआ था. गृहमंत्री ने कहा कि भूस्खलन से लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ और उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आ गई.
शाह ने कहा कि उपग्रह डेटा के अनुसार, ऋषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्र तल से 5600 मीटर ऊपर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जितना बड़ा था, जिससे ऋषि गंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ्लड की स्थिति बन गई. उन्होंने कहा कि इस घटना को 5,600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर के टर्मिनस पर ऋषि गंगा नदी के कैचमेंट में 7 फरवरी, 2021 (रविवार) के उपग्रह डेटा (प्लेनेट लैब) से देखा गया है.
रविवार की सुबह 10 बजे हुई त्रासदी पर राज्यसभा में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि ऋषिगंगा में जल स्तर के बढ़ने पर फ्लैश फ्लड के कारण 13.2 मेगावाट की एक कार्यात्मक ऋषिगंगा छोटी पनबिजली परियोजना (स्मॉल हाइड्रो प्रोजेक्ट) को नुकसान पहुंचा है. बाढ़ की वजह से धौली गंगा नदी पर तपोवन में निर्माणाधीन 520-मेगावॉट एनटीपीसी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ है.
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री स्वयं स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, जिससे राज्य को संभव मदद मिल सके." उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपना नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और सभी आवश्यक उपकरणों के साथ 450 आईटीबीपी कर्मी बचाव और राहत कार्यो में लगे हुए हैं. जबकि पांच राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और बचाव और राहत कार्यो में लगी हुई हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना की आठ टीमें, जिनमें एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) शामिल हैं, बचाव कार्य कर रही हैं. शाह ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्य में लगे हुए हैं और जोशीमठ में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है. घटनास्थल पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, मंत्री ने कहा कि तलाशी और बचाव अभियान लगातार चलाया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार से सोमवार शाम तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंत्री ने कहा कि कुल 197 लोग लापता हैं. लापता व्यक्तियों में एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 व्यक्ति, कार्यात्मक ऋषिगंगा परियोजना के 46 व्यक्ति और 12 ग्रामीण शामिल हैं.