उत्तराखंड में जगह-जगह बारिश से तबाही; आसमानी आफत से अभी राहत नहीं, सभी 13 जिलों में रेड अलर्ट
Heavy rain wreaks havoc in Uttarakhand | PTI

देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को दो जगहों पर बादल फटने की घटनाओं ने तबाही मचा दी. धाराली और सुखी टॉप क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ और मलबे के कारण कई गांव प्रभावित हुए. अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 130 से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है. वहीं 100 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. बारिश और मुश्किल हालात के बावजूद राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है. भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हुई हैं. सेना ने कहा है, “हम चुनौतीपूर्ण भूगोल और मौसम के बीच स्थानीय प्रशासन की हर संभव मदद कर रहे हैं.”

उत्तरकाशी की त्रासदी नई चेतावनी; क्यों लगातार आपदाओं की चपेट में है उत्तराखंड?

इस बीच मौसम लगातार मुश्किलें बढ़ा रहा है. देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने उत्तराखंड के 13 जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. 6 अगस्त की रात से 7 अगस्त की सुबह 9 बजे तक भारी बारिश, बिजली गिरने और तूफानी हवाओं की चेतावनी दी गई है.

उत्तराखंड के सभी 13 जिलों उत्तरकाशी, देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चंपावत, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर में भारी से भारी बारिश का अनुमान है.

सड़कें टूटी, यातायात ठप

बाढ़ और भूस्खलन के चलते उत्तरकाशी के बर्तवारी, लिंचिगाड़ और गंगरानी के पास की सड़कें बह गई हैं. इससे वाहन चालकों और राहत दलों को भारी परेशानी हो रही है. धाराली का सिविल हेलीपैड भी मलबे के कारण बेकार हो गया है, जिससे हवाई राहत कार्य बाधित हुआ है.

राहत कार्य में रुकावटें: कोहरा, मलबा और टूटे रास्ते

धाराली, हर्षिल और आसपास के गांवों में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल संघर्ष कर रहे हैं. बारिश के कारण दृश्यता कम हो गई है, जिससे एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. जमीन पर मलबा, कीचड़ और टूटे रास्तों ने राहत कार्य को धीमा कर दिया है.

क्या है आगे की चुनौती?

हिमालयी इलाकों में मौसम की मार और दुर्गम भौगोलिक स्थिति बचाव टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है. प्रभावित गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना मुश्किल हो गया है. स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय एजेंसियां मिलकर लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं.

हम पाठकों से अपील करते हैं कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लें, अनावश्यक यात्रा से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें.