Chardham Yatra 2021: 18 सितंबर से शुरू होगी चारधाम यात्रा, केदारनाथ में हर दिन 800 और बदरीनाथ में 1200 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम (Photo Credits: Twitter)

देहरादून: कोविड-19 (COVID-19) के प्रकोप को कम होता देख उतराखंड (Uttarakhand) सरकार ने चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) को फिर शुरू करने का ऐलान किया है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने शुक्रवार को कहा कि चारधाम यात्रा 18 सितंबर से शुरू होगी. एक दिन पहले ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी और राज्य सरकार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के साथ यात्रा संचालित करने का निर्देश दिया है.

कोरोना वायरस संक्रमण के कहर को देखते हुए उतराखंड सरकार ने अप्रैल महीने में चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया था. हालांकि चारों धाम के कपाट निर्धारित समय पर खुले थे. साथ ही तीर्थ-पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करते थे, केवल श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं थी.

पूरे देश में इस समय कोरोना के मामले काफी हद तक काबू में हैं. इस बीच गुरुवार को यात्रा पर लगा प्रतिबंध हटाते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की निर्धारित दैनिक संख्या जैसे प्रतिबंधों के साथ ही यात्रा संचालित होगी. अदालत ने कहा कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड-नेगेटिव जांच रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाणपत्र लाना अनिवार्य होगा.

चारधाम के नाम से प्रसिद्ध उच्च गढवाल हिमालयी क्षेत्रों में स्थित मंदिरों में श्रद्धालुओं की दैनिक सीमा निर्धारित करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि केदारनाथ धाम में प्रतिदिन अधिकतम 800, बदरीनाथ में 1200, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की दर्शन की अनुमति दी जाएगी. इसके अतिरिक्त, यात्रियों को मंदिरों के आसपास स्थित झरनों में स्नान की अनुमति नहीं होगी.

अदालत ने कहा कि चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में चारधाम यात्रा के दौरान जरुरत के अनुसार पुलिस बल तैनात किया जाएगा. चमोली में बदरीनाथ, रूद्रप्रयाग में केदारनाथ और उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर स्थित हैं.

उच्च न्यायालय का यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. चारधाम यात्रा से लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी होने के कारण राज्य सरकार पर इसे शुरू करने का चौतरफा दवाब था.

कोविड हालात के कारण पैदा हुई अनिश्चितता के बीच उच्च न्यायालय ने 28 जून को राज्य मंत्रिमंडल के सीमित स्तर पर चारधाम यात्रा शुरू करने के निर्णय पर रोक लगा दी थी. मंत्रिमंडल ने चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को मंदिर दर्शन की अनुमति देने का फैसला किया था. राज्य सरकार की योजना कोविड की स्थिति सुधरने की दशा में चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से राज्य के बाहर ​के निवासियों के लिए भी शुरू करने की थी.

उच्च न्यायालय की इस रोक के खिलाफ राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. हालांकि, बाद में इस याचिका को वापस लेकर सरकार ने फिर उच्च न्यायालय से चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई.

महाधिवक्ता एस. एन. बाबुलकर और मुख्य स्थाई अधिवक्ता सी. एस. रावत ने सरकार की तरफ से अदालत में पेश होते हुए कहा कि स्थानीय लोगों की आजीविका बहाल करने के लिए यात्रा से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए. बाबुलकर ने कहा कि यह चारधाम यात्रा से कमाने का सीजन है, अगर यह चला गया तो कई परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने यह भी दलील दी कि रोक लगाते समय उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई चिंता का समाधान हो चुका है और स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है.