UP Love Jihad Law: यूपी में 'लव जिहाद' क़ानून और हुआ सख्त, उम्रकैद के प्रावधान वाले संशोधित विधेयक विधानसभा में पास, जानें नए बिल में क्या है
यूपी में 'लव जिहाद' क़ानून और सख्त हो गया है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकर ने लव जिहाद को रोकथाम को लेकर उम्रकैद के प्रावधान वाले संशोधित विधेयक को विधानसभा में मंगलवार को पेश किया हैं. जहां से यह बिल पास हो गया.
UP Love Jihad Law: यूपी में 'लव जिहाद' क़ानून और सख्त हो गया है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकर ने लव जिहाद को रोकथाम को लेकर उम्रकैद के प्रावधान वाले संशोधित विधेयक को विधानसभा में मंगलवार को पेश किया हैं. जहां से यह बिल पास हो गया. इस बिल को पास होने के बाद मामले में कोई यदि शिकायत करता हैं और जांच में आरोप सिद्ध होता है तो उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. क्योंकि विधानसभा में पास लव जिहाद बिल में कई नए अपराध भी इसमें जोड़ी गई है.
इस बिल को उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक नाम दिय गया है. अभी तक देशभर उमें 10 राज्यों में धर्मांतरण या लव जिहाद विरोधी कानून लागू हो चुके हैं. हालांकि इस बिल को पास होने से पहले इसका विरोध भी हुआ. कुछ लोगों ने कहा कि नए कानून की प्रदेश में कोई जरूरत नहीं है. लव जिहाद को लेकर जो पहले काननू हैं, उसका ही पालन किया जाना चाहिए. यह भी पढ़े: Karnataka Love Jihad: कर्नाटक में लड़की के लापता होने के मामले मेें लव जिहाद का आरोप आया सामने
जानें नए बिल में क्या है प्रावधान
- संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर धर्मांतरण कर अवैध तरीके से विवाह करने और उत्पीड़न के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. पहले इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था.
- संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को सदन में पुरःस्थापित किया था.
- इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा.
- संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है.जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था.
- संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गयी है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा। इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है.
- संशोधित मसौदे में यह प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र अदालत से नीचे नहीं होगी और लोक अभियोजक को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदे के तहत इसमें सभी अपराध गैर-जमानती बना दिए गए हैं।
- उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने के इरादे से यह पहल की थी। नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को कानूनी रूप में मान्यता मिली. (इनपुट एजेंसी)