Uttar Pradesh: अंधविश्वासी गतिविधियों से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने हटाया कोरोना माता मंदिर

यहां के जिला प्रशासन ने प्रतापगढ़ जिले के संगीपुर थाना क्षेत्र के जूही शुकुलापुर गांव में बने एक कोरोना माता मंदिर को तोड़ दिया है. 'कोरोना माता' मंदिर निर्माण को लेकर भी जांच के आदेश दिए गए हैं प्रयागराज रेंज के पुलिस महानिरीक्षक केपी सिंह के मुताबिक, अंधविश्वासी गतिविधियों से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने गांव से 'कोरोना माता' मंदिर को हटा दिया है.

प्रतापगढ़ (photo credits: ANI)

प्रतापगढ़ (यूपी), 13 जून : यहां के जिला प्रशासन ने प्रतापगढ़ जिले (Pratapgarh District) के संगीपुर थाना क्षेत्र के जूही शुकुलापुर गांव (Shukulapur village) में बने एक कोरोना माता मंदिर को तोड़ दिया है. 'कोरोना माता' मंदिर निर्माण को लेकर भी जांच के आदेश दिए गए हैं प्रयागराज रेंज के पुलिस महानिरीक्षक केपी सिंह के मुताबिक, अंधविश्वासी गतिविधियों से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने गांव से 'कोरोना माता' मंदिर को हटा दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस दल भी कोविड-19 (COVID-19) के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, उनका दावा है कि यह एक घातक वायरस है और उन्हें इस तरह की अंधविश्वासी चीजों में खुद को शामिल नहीं करना चाहिए. आईजी ने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं, क्योंकि गांव के एक व्यक्ति नागेश कुमार श्रीवास्तव ने संगीपुर थाने में एक आवेदन जमा कर दावा किया है कि गाजियाबाद में रहने वाले उनके भाई लोकेश कुमार ने 'कोरोना माता' की स्थापना की थी. परिवार के अन्य सदस्यों के परामर्श के बिना मंदिर के निर्माण के बाद गाजियाबाद वापस चला गया.

पुलिस ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले के शुकुलापुर गांव में तीन दिन पहले 'कोरोना माता' मंदिर बना था और सैकड़ों ग्रामीणों ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी. मंदिर वास्तव में चंदा इकट्ठा करने के बाद ग्रामीणों के एक समूह द्वारा बनाया गया था. ग्रामीणों ने कोरोना माता से प्रार्थना करना शुरू कर दिया कि 'कोविड -19 की छाया कभी शुकुलापुर और आसपास के गांवों पर न पड़े.' इतना ही नहीं, उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना करते समय मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड-19 प्रोटोकॉल के महत्व पर भी प्रकाश डाला. मूर्ति ने भी नकाब पहना था. यह भी पढ़ें : एक साल में कोवैक्सीन की सुरक्षा पर 9 शोध प्रकाशित : भारत बायोटेक

नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले ग्रामीणों ने दावा किया, "कोरोना वायरस महामारी और इसके घातक प्रभाव को देखने के बाद, जिसने हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली, हमने पूरे विश्वास के साथ एक 'नीम' के पेड़ के नीचे कोरोना माता मंदिर स्थापित करने का फैसला किया. देवता निश्चित रूप से लोगों को घातक बीमारी से राहत देंगे." छोटे सफेद पत्थर की मूर्ति को खुले मंदिर में दीवार पर स्थापित किया गया है. मूर्ति की स्थापना के साथ ही रोजाना पूजा का आयोजन किया जा रहा था और ग्रामीण लोगों को घातक बीमारी से बचाने के लिए आशीर्वाद मांग रहे थे. यह भी पढ़ें : Door-to-Door Vaccination: घर-घर जाकर लोगों को वैक्सीन देने वाला देश का पहला शहर होगा बीकानेर

मंदिर के पुजारी राधे श्याम ने कहा, "हमने पहले 'चेचक माता' (चेचक माता) का नाम सुना है जिन्होंने बीमारी को ठीक किया था. इसी तरह, हमने इस विश्वास के साथ कोरोना माता मंदिर की स्थापना की थी कि माता सभी कठिनाइयों का समाधान करेगी. हमने ग्रामीणों से धन इक्ठ्ठा किया." उन्होंने कहा, हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब देश में इस तरह का मंदिर बना है. "जब प्लेग और चेचक जैसी अन्य घातक बीमारियां गांवों और कस्बों में फैल गईं और कई लोगों को मार डाला, तो लोग भी इसी तरह पूजा करते थे." ग्रामीणों ने दावा किया कि भक्तों को मूर्ति को छूने की अनुमति नहीं थी और उन्होंने देवी को केवल पीले फूल चढ़ाए.

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