Uttar Pradesh: अब जूते भी होंगे इको फ्रेंडली, जूतों में क्रोम युक्त चमड़ा और सिंथेटिक का होगा प्रयोग

उत्तर प्रदेश के निर्यात के रूप में कानपुर के चर्म उद्योग का एक प्रमुख स्थान है, लेकिन साथ ही साथ प्रदूषण एक बदनुमा दाग भी. इस दाग को धोने का जिम्मा उठाया है इसी उद्योग से जुड़े वहां के केमिकल इंजीनियर राजेंद्र जालान ने.

इकोफ्रेंडली जूते (Photo Credits: Wikimedia Commons)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के निर्यात के रूप में कानपुर के चर्म उद्योग का एक प्रमुख स्थान है, लेकिन साथ ही साथ प्रदूषण एक बदनुमा दाग भी. इस दाग को धोने का जिम्मा उठाया है इसी उद्योग से जुड़े वहां के केमिकल इंजीनियर राजेंद्र जालान (Rajendra Jalan) ने. जालान अब इकोफ्रेंडली जूते बना रहे हैं. परंपरागत तौर पर बनने वाले जूतों में क्रोम युक्त चमड़ा और सिंथेटिक का प्रयोग होता है. चमड़े में मिक्स क्रोम ही प्रदूषण की मुख्य वजह है.

इको फ्रेंडली जूतों में ऊपर का पूरा हिस्सा खादी के खास तरह के कपड़ों का है. जूते की सोल केरल के कार्क मिक्स रबर की है, तो पंजों और एड़ियों को आराम देने वाला सुख तल्ला लैटेक्स फोम का. जूते के पिछले हिस्से को सख्त बनाने के लिए जूट का प्रयोग किया गया है. सिलाई नायलन की जगह खास तरह के बने मजबूत सूती धागों की है. यहां तक कि पैकिंग भी रिसाइकल्ड कागज के ऊपर प्राक्रतिक रंगों द्वारा छपाई करके विदेश में निर्यात किया जा रहा है. अन्य सामग्री भी इको फ्रेंडली हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया है. मालूम हो कि राजेंद्र जालान 1974 में एचबीटीआई से केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद से ही इस इंडस्ट्री में हैं. उनकी कानपुर के पनकी और कानपुर देहात में जूते की दो इकाईयां हैं. उनके जूतों का निर्यात अमेरिका, जर्मनी, स्पेन, आस्ट्रलिया, दक्षिण अमेरिका के देश और दक्षिण कोरिया में होता है. यह भी पढ़े: Unlock 1: दिल्ली के सभी बाजार खुले, लेकिन सबसे बड़ा होलसेल मार्केट अभी भी रहेगा बंद

यह पूछने पर कि लॉकडाउन के दौरान यह ख्याल आपको कैसे आया, राजेंद्र जालान ने कहा कि, कोरोना के कारण वैश्विक स्तर पर बहुत कुछ बदला है. बदलाव की यह प्रक्रिया जारी है. कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाने के बाद भी बहुत कुछ बदल जाएगा. लोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक हुए हैं. ऐसे में मुझे लगा कि भविष्य टिकाऊ सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली चीजों का ही होगा. लिहाजा पूरी तरह हाथ से बुने खादी के कपड़ों को बेस बनाकर इको फ्रेंडली जूते बनाने की सोची. लखनऊ आकर अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग और खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल से संपर्क किया तो उन्होंने ना केवल उनको प्रोत्साहित किया बल्कि हर संभव मदद का भरोसा दिया. आज आप जो इको फ्रेंडली जूता देख रहे हैं, वह उन्हीं के द्वारा बहुत कम समय में खड़ी का कपड़ा उपलब्ध कराए जाने से संभव हो सका और फिर सिलसिला शुरू हो गया. जालान को उम्मीद है कि आने वाले समय में खादी से बने हुए जूतों को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पहचान मिलेगी एवं प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को आगे बढ़ाने का भी एक प्रयास है. इस प्रयास से देश में उद्दमिता का विकास होगा और कुटीर उद्योग को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे. यह भी पढ़े: Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा, लोकल खिलौने के लिए बनना है वोकल

अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने कहा कि, सरकार अपने प्रदेश के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद कर रही है. इको फ्रेंडली जूते बनाकर प्रदूषण कम हो सकता है. तो इस कार्य को तेजी से करें. इसमें जो भी सहायता होगी की जाएगी.

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