Uri Attack: उरी आतंकी हमले के 11वें दिन बाद भारतीय सेना ने किया था सर्जिकल स्ट्राइक, 50 आतंकी हुए थे ढेर- जानें पूरा किस्सा
सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से कांप उठते हैं आतंकवादी ( प्रतीकात्मक तस्वीर / क्रेडिट- Wikimedia Commons )

दुनिया जानती है पाकिस्तान की पनाह में आंतकवाद फल-फूल रहा है. POK में छिपे आतंकी कई बार भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला कर चुके हैं, जिनका मुंहतोड़ जवाब भी दिया गया है. लेकिन अब आतंकियों में खौफ है और वे अपने शिविरों में रहने से डरते हैं. क्योंकि अब भारत पाकिस्तान में घुसकर स्ट्राइक करता है. जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के उरी (Uri) आर्मी कैंप पर आज ही के दिन 18 सितंबर 2016 को आतंकवादियों (Terrorist) ने घात लगकार हमला किया था. इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद पूरा देश गुस्से में था. सभी चाहते थे कि आतंकियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हो जिससे आतंकियों की रूह तक कांप उठे.

आतंकियों को मौत की नींद सुलाने के लिए ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike)  28-29 सितंबर 2016 की मध्य रात में शुरू हुआ. हमले ठीक 11 दिन बाद सेना की स्पेशल टीम पाकिस्तान के अंदर घुस गई. उसके बाद आतंकियों के ठिकानों पर कहर बनकर टूट पड़ी. भारतीय सेना ने इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खुद मीडिया पूरी जानकारी दी.

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कैसे हुई सर्जिकल स्ट्राइक

यह ऑपरेशन 28 सितंबर देर रात 12.30 बजे शुरू हुआ. इस मिशन के लिए सेना के स्पेशल कमांडोज को चुना गया था. MI-17 हेलीकाप्टरों के जरिए एलओसी पर 150 कमांडो को उतारा गया. जिसके बाद वे पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के 3 किलोमीटर अंदर तक घुस गए. सेना ने भींबर, लिपा, केल और हॉटस्प्रिंग सेक्टरों में ऑपरेशन को अंजाम दिया. पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद भारतीय सेना ने तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया था, ताकि कुत्तों को शांत रखा जा सके.

भारत के जाबांज सैनिकों ने ऑपरेशन में पाक आतंकियों के सात कैंप तबाह किए साथ ही सेना ने 38 आतंकी और दो पाकिस्तानी जवानों को भी ढेर किया. सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक में रॉकेट लॉन्चर, मिसाइल और छोटे हथियार इस्तेमाल किए गए थे. जिसके बाद सेना ने आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर कई को मौत के घाट उतारा. सेना की इस कर्रवाई की भनक पाकिस्तान को नहीं लगी थी.

ऑपरेशन में सभी भारतीय कमांडोज सुरक्षित वापस लौटे. सुबह 4.30 बजे भारतीय सेना के वापसी के साथ यह ऑपरेशन खत्म हुआ. इसके लिए दस दिन पहले से खुफिया जानकारी जुटाई जा रही थी. आतंकियों के ठिकानों पर निगरानी रखी जा रही थी. यही वजह थी कि स्ट्राइक के दौरान सेना को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची और सभी जवान पूर्ण सुरक्षित भारत लौटे. वहीं सेना की बहादुरी की सराहना देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने किया.