सिक्का निकालने की मशीन में नकली नोट डालने की वजह से UPI आधारित विकल्प लाया गया: RBI

टी रवि शंकर ने कहा कि सिक्का निकालने वाली मशीन में नकली नोट डाले जाने के मामलों को देखते हुए यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आधारित विकल्प को अपनाने का फैसला किया गया है.

RBI representational image (Photo Credit- PTI)

मुंबई, 8 फरवरी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने बुधवार को कहा कि सिक्का निकालने वाली मशीन में नकली नोट डाले जाने के मामलों को देखते हुए यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आधारित विकल्प को अपनाने का फैसला किया गया है.

उन्होंने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘समस्या यह थी कि इन मशीनों में जो रुपये डाले जा रहे थे, कई मामलों में नकली पाये गये. इसीलिए यह मुद्दा बन गया था.’’ शंकर ने कहा कि इसी को देखते हुए आरबीआई ने विकल्पों पर विचार करना शुरू किया गया. बहुत सारे लोग मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं. उसके जरिये क्यूआर कोड ‘स्कैन’ किया जा सकता है जो यूपीआई से जुड़ा हो सकता है. इसके माध्यम से भौतिक रूप से रुपये का उपयोग किये बिना वेंडिंग मशीन से सिक्के निकाले जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि मशीन देश में विकसित की गई हैं. इस नई व्यवस्था में सिक्कों के वितरण में सुधार होगा. इससे पहले, दिन में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ‘क्यूआर’ कोड आधारित ‘कॉइन वेंडिंग मशीन’ (क्यूसीवीएम) को लेकर पायलट परियोजना शुरू करने की घोषणा की.

आरबीआई 12 शहरों में क्यूआर कोड आधारित सिक्का निकालने की मशीन को लेकर पायलट परियोजना शुरू करेगा. ये वेंडिंग मशीनें यूपीआई का उपयोग करके बैंक ग्राहकों के खाते से पैसे काटकर सिक्के उपलब्ध कराएंगी. अभी जो मशीनें हैं, उसमें बैंक नोट डालकर सिक्के निकाले जाते हैं.

दास ने कहा, ‘‘नकद आधारित परंपरागत कॉइन वेंडिंग मशीन में भौतिक रूप से रुपये डालने और उसके सत्यापन की जरूरत नहीं होगी.’’ शुरू में पायलट परियोजना 12 शहरों के 19 स्थानों पर शुरू करने की योजना है. इन मशीनों को रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल, बाजारों में लगाया जाएगा.

शंकर ने कहा कि आरबीआई एक अजीब समस्या से जूझ रहा है. एक तरफ सिक्कों की आपूर्ति बहुत अधिक है और इसको रखने में अधिक जगह की जरूरत होती है. साथ ही यह ठीक से वितरित नहीं हो पाता है. इस बीच, डिप्टी गवर्नर राजेश्वर राव ने कहा कि कर्ज पर जुर्माने को लेकर ब्याज के मामले में बैंकों की अलग-अलग नीतियां हैं. इस मामले में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के हितों के संरक्षण को लेकर जुर्माना लगाये जाने के बारे में विभिन्न पक्षों से राय लेने को लेकर दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया जाएगा.

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