उत्तर प्रदेश पुलिस का नया कारनामा, 'भूतों' के खिलाफ कोर्ट में पेश किया चालान
आजकल उत्तर प्रदेश पुलिस अपने साहसिक कारनामों के बजाय अपनी मसखरी के लिए ज्यादा मशहूर हो रही है. जी हां आजकल यूपी पुलिस की अजीबो-गरीब कहानियां सुनने को मिल रही हैं.
लखनऊ: आजकल उत्तर प्रदेश पुलिस अपने साहसिक कारनामों के बजाय अपनी मसखरी के लिए ज्यादा मशहूर हो रही है. जी हां आजकल यूपी पुलिस की अजीबो-गरीब कहानियां सुनने को मिल रही हैं. एक दिन पहले ही संभल जिले में बदमाशों को पकड़ने गई पुलिस की पिस्तौल ने जब ऐन मौके पर जवाब दे दिया तो दरोगा साहब ने मुंह से ही 'ठांय-ठांय' की आवाज निकाल बदमाशों को डराने का प्रयास किया. अब खबर मिली है कि नवरात्री के दौरान कानून और सुरक्षा व्यवस्था में खलल न पड़े, इसके लिए उत्तर पुलिस ने 31 लोगों का नाम चिन्हित कर उप जिला मजिस्ट्रेट सदर के न्यायालय में उन्हें पाबंद करने की चालान रिपोर्ट पेश की, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन 31 लोगों में 3 'भूत' यानी ऐसे लोग शामिल थे जिनका बहुत पहले ही निधन हो चुका है.
जानकारी के अनुसार यह मामला हमीरपुर का है. जहां नगर कोतवाल शैल कुमार सिंह ने 4 अक्टूबर को नवरात्र में शांति भंग की आशंका के मद्देनजर कुल 31 लोगों का नाम चिन्हित कर उप जिला मजिस्ट्रेट सदर की अदालत में चालानी रिपोर्ट पेश कर पाबंद किए जाने का अनुरोध किया था. सूची में जिन लोगों का नाम था उसमें से नीशू द्विवेदी पुत्र प्रेम नारायण, नन्हे अवस्थी पुत्र देवी शरण और कल्लू पुत्र नामवेद की मौत हो चुकी है. चौंकाने वाली बात यह है कि अदालत ने इस चालानी रिपोर्ट पर वाद संख्या-2266 पंजीकृत कर छह अक्टूबर को बिना परीक्षण किए सीआरपीसी की धारा-111 के तहत पाबंद करने का आदेश निर्गत कर सभी को 10 अक्टूबर को तलब भी कर लिया.
अदालत के आदेश पर जब पुलिस नोटिस तामील करवाने पहुंची तो पता चला कि तीन लोगों की तो पहले ही मौत हो चुकी है. इसके बाद पुलिसकर्मियों के पसीने छूट गए. 'भूतों' का चालान पेश किए जाने का मामला जैसे ही उजागर हुआ, पुलिस अधिकारियों के कान खड़े हो गए. अपर पुलिस अधीक्षक के अनुसार पुलिस पुराने मामले को ही ताजा दिखाते हुए चालान रिपोर्ट प्रेषित कर कर दी है, यह बहुत बड़ी गड़बड़ी है. इन सब गड़बड़ियो के वजह से आजकल यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रही है.