वाराणसी, 24 मार्च: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वन वर्ड टीबी समिट का शुभारंभ करते हुए कहा कि टीबी हारेगा, भारत जीतेगा. उन्होंने कहा कि भारत हर देश के साथ टीबी के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बटन दबाकर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और उच्च रोकथाम प्रयोगशाला, वाराणसी शाखा का शिलान्यास किया। फिर अपना संबोधन शुरू किया. यह भी पढ़ें: PM Modi Varanasi Visit: पीएम मोदी पहुंचे वाराणसी, हर हर महादेव से गूंजी काशी, 1784 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे
पीएम मोदी ने कहा कि एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब वसुधैव कुटुंबकम यानी 'पूरी दुनिया एक परिवार है' की भावना में झलकता है. ये प्राचीन विचार आज आधुनिक विश्व को एकीकृत ²ष्टि और एकीकृत समाधान दे रहा है. इसलिए भारत ने जी20 की भी थीम रखी है -- एक दुनिया, एक परिवार, एक भविष्य. उन्होंने कहा कि भारत हर देश के साथ टीबी के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है.
मोदी ने कहा कि 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया, वो वाकई अभूतपूर्व है. भारत के ये प्रयास पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है. बीते 9 वर्षों में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोचरे पर एक साथ काम किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले ही भारत ने 'एक धरा एक स्वास्थ्य' के विजन को भी आगे बढ़ाने की पहल की है और अब वन वर्ड टीबी समिट के जरिए भारत एक और संकल्प को पूरा कर रहा है. टीबी के खिलाफ लड़ाई में, भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वो जनभागीदारी है. पीएम मोदी ने कहा कि टीबी हारेगा, भारत जीतेगा.
पीएम ने कहा कि वर्ष 2001 में जब मुझे गुजरात के लोगों ने सेवा का अवसर दिया, तब मुझे लगा कि गांधीजी का एक सपना अधूरा रह गया है. हमने उस पर काम किया और लैप्रेसी अस्पताल पर ताला लगाया. ठीक उसी तरह टीबी को देश से मुक्त करने के लिए हमने बीड़ा उठाया है.
उन्होंने कहा कि इसमें जनभागीदारी बहुत आवश्यक है. टीबी के मरीजों में जागरूकता की कमी है. हमें उनको जागरूक करना होगा. काशी में बीते कुछ वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत विकास हुआ है. अब लोगों को इलाज के लिए दिल्ली और मुंबई नहीं जाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हुई हैं. जनऔषधि केंद्र से लोगों को सस्ती दवाएं मिल रही हैं.