लखनऊ: इसमें कोई संदेह नहीं है कि जनसंख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और ऐसी स्थिति में कोविड-19 महामारी से लड़ाई लड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ न केवल जंग लड़ी, बल्कि उसके सकारात्मक नतीजे भी दिए है. जब दुनिया में कोरोना को लेकर कोहराम मचा है, तब देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस लड़ाई में अव्वल नजर आ रहा है. अधिक आबादी होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों से कम केस आना लोगों को चौंका रहा. सबके जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यूपी में ऐसा क्या हो रहा है कि दुनिया के कई देशों से भी अधिक आबादी वाला यह प्रदेश काफी हद तक वायरस को काबू करने में सफल रहा है. दरअसल यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद योद्धा बनकर मैदान में उतरे हैं. वह सुबह चार बजे से लेकर देर रात तक 'मिशन मोड' में रहते हैं.
इसी साल 18 मार्च को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के तीन साल पूरे होने पर ट्विटर पर 'काम दमदार योगी सरकार' खूब ट्रेंड हुआ. तब किसी ने नहीं सोचा था कि आगामी समय में कोरोना वायरस सूबे के लिए बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वायरस संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए फरवरी महीने से ही उपाय शुरू कर दिए थे. इसी का परिणाम है कि प्रदेश में घातक वायरस के कारण स्थिति कभी भी नियंत्रण के बाहर नहीं हुई. चाहे वह प्रवासी मजदूरों की वापसी हो या कोरोना टेस्टिंग की समस्या हर मोर्चे पर योगी सरकार ने जरूरी कदम उठाए और जनता के सहयोग से इस महामारी को कभी हद तक काबू में ही रखा.
शुरुआत में ही संक्रमण रोकने के लिए कठोर कदम
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए और तेज सर्तकता बरतनी शुरू की. मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कोरोना पर प्रभावी नियन्त्रण स्थापित करने के लिए कोरोना एक्शन प्लान तैयार किया. सीएम हेल्पलाइन पर जिन जिलों की शिकायतें अधिक थी, उनकी निगरानी खुद मुख्यमंत्री योगी ने की. हर जिले में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी भी कंट्रोल रूम में फोन नहीं उठाने पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया. जबकि कोरोना संदिग्ध मिलने पर थाना प्रभारियों की जवाबदेही तय की और लापरवाही करने पर कार्रवाई का संकेत दिया. यहां तक संक्रमण छिपाने वालों पर ढिलाई बरतने पर डीएम-एसपी पर कार्रवाई की.
20 मार्च को ही यूपी के सभी शॉपिंग मॉल को बंद करने के साथ ही लखनऊ, कानपुर व नोएडा को सैनिटाइज करने का आदेश दिया. जबकि स्कूलों-कॉलेजों को पूरी तरह बंद कर दिया. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों और बसअड्डों सहित राज्य की सीमा पर सघन चेकिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. साथ ही सभी धर्माचार्यो एवं धर्मगुरुओं से कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की अपील की. कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में पान-मासला की बिक्री पर रोक लगा दी.
उत्तर प्रदेश में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना को काबू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में केंद्र सरकार से पहले ही लॉकडाउन लगाया. सबसे पहले 22 मार्च को प्रदेश के 15 जिलों- लखनऊ समेत बनारस, गोरखपुर, कानपुर, मेरठ, बरेली, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, सहारनपुर, लखीमपुर, आजमगढ़ और मुरादाबाद में लॉकडाउन लगाया. तब प्रदेश में 2000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड थे. जिसे 48 घंटे के अंदर 10 हजार से ज्यादा किया गया. तब से ही राज्य के हर कोरोना हॉटस्पॉट को सील करने का काम जारी है. वहीं दमकल गाड़ियों गांवों व शहरों का सैनिटाइजेशन का काम शुरू किया गया.
प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा ग्राम प्रधान को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से फोन किया गया. उन्हें उन लोगों को सूचना देने के लिए कहा गया जो विदेशों से लौटे हैं. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 18001805145 जरी किया गया. वहीं दूसरे राज्यों से लौटकर आने वाले लोगों को 15 दिन तक अपने घर पर रुकने का निर्देश दिया गया. 26 मार्च तक प्रदेश में 8 टेस्टिंग लैब में काम शुरू हो गया था.
गरीबों और मजदूरों का रखा ख्याल
21 मार्च तक उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के कुल 23 मामले सामने आये थे, जिसमें से नौ लोग संक्रमण से उबर चुके थे. तब कोरोना से चल रही जंग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गरीब मजदूरों का ख्याल रखा और आर्थिक मदद पहुंचाई. प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से 35 लाख मजदूरों को भरण-पोषण के लिए 1000 रुपये प्रति माह दिए. साथ ही मनरेगा मजदूरों को तुरंत भुगतान करने का फरमान सुनाया. इसके अलावा उन्होंने 1.65 करोड़ से ज्यादा अन्त्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को निशुल्क राशन दिया. बीपीएल परिवारों को 20 किलो गेहूं, 15 किलो चावल को मुफ्त में दिया. सभी जरुरतमंदों को एक हजार रुपये की सहायता राशि देने के लिए सभी जिलों में पर्याप्त धनराशि भेजी. जबकि अप्रैल-मई की पेंशन अप्रैल में ही दी. अप्रैल के पहले हफ्ते योगी सरकार ने विभिन्न योजनाओं में पेंशन पाने वाले 86,71,781 लाभार्थियों को 871.4693 करोड़ रुपये की बड़ी सौगात दी
जमाखोरों पर कड़ी कार्रवाई
योगी सरकार ने महामारी के बीच कई तरह की अफवाहों का फायदा उठाकर जमाखोरी करने वाले लोगों से भी सख्ती से निपटने की तैयारी की. कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री ने सख्त निर्देश देते हुए आवश्यकता पड़ने पर एनएसए के तहत कार्रवाई करने की छूट दी. सभी मंडल आयुक्त, पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए कि लॉकडाउन में स्थानीय मंडियों में खाद्य सामग्री की बल्क सप्लाई की चेन को रोका न जाए, बल्कि इसे सुगम बनाने का काम किया जाएं. राज्य सरकार ने सभी विधायक, एमएलसी, मंत्री अपनी निधि से मेडिकल साधनों के लिए धनराशि उपलब्ध कराने के लिए कहा.
‘112’ का दिया सहारा
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनता की सहायता के लिए 112 की पीआरवी (पुलिस रिस्पांस व्हेकिल) भी हर वक्त सक्रिय हुयी. मार्च महीने में ही प्रदेश में 112 के करीब तीन हजार चौपहिया वाहन व लगभग दो हजार दोपहिया वाहन सुरक्षा-व्यवस्था की ड्यूटी में लगाये. इसके आलावा पीआरवी को सुरक्षा-व्यवस्था के साथ-साथ लोगों के बीच आवश्यक सामग्री पहुंचाने और इमरजेंसी में किसी परिवार की पूरी मदद के लिए भी मुस्तैद किया. वहीँ, राज्य में डोर स्टेप डिलिवरी शुरू की गयी. आवश्यक वस्तुओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में मोबाइल वैन और हाथगाड़ी व ठेला मुहैया करवाया गया. प्रशासन ने सुनिश्चित किया की एलपीजी सिलेंडर, दवा और जरूरी सामान हर किसी को समय पर मिले.
प्रवासियों को पहुंचाया घर
लॉकडाउन की स्थित में कोरोना वायरस से डरे-सहमे मजदूरों को उस समय राहत मिल गई, जब योगी सरकार ने उनके प्रति सवेदनशीलता दिखाई और अन्य प्रदेशों से पैदल आ रहे मजदूरों के लिए सभी इंतजाम किये. सभी के लिए मानवीय आधार पर संबंधित जिले में रहने और भोजन की व्यवस्था की गयी. खासतौर से सीमा वाले जिलों के डीएम और पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री योगी ने प्रवासी मजदूरों के रुकने, रहने और खाने का समुचित प्रबंध करने का निर्देश दिया. इन सभी की भोजन और खाने की व्यवस्था ही नहीं की, बल्कि इन्हें घरो तक भी पहुंचाने की व्यवस्था की.
प्रवासियों की मदद के लिए योगी सरकार ने उनकी मदद के लिए वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की टीम गठित की. सीएम योगी ने 12 राज्यों के लिए नोडल अधिकारी तैनात किये. इन नोडल अफसरों ने संबंधित राज्य के अधिकारियों से को-आर्डिनेशन बनाकर वहां रह रहे यूपी के नागरिकों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाने का काम किया. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले प्रवासियों को भी सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया. कई बार तो पलायन कर रहे लोगों के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी ने रातभर व्यवस्था का जिम्मा उठाया.
प्रवासी मजदूरों को दिया रोजगार
योगी सरकार ने उन सभी मजदूरों को महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत नौकरी देने का फैसला किया है जो राज्य के बाहर से आए हैं. इस योजना के तहत नौकरी मांगने वाले युवाओं को तुरंत उनके गांव में जॉब कार्ड दिए गए. दूसरे प्रदेशों से लौटे 15 लाख श्रामिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की रणनीति बनायीं गयी. दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों भविष्य की चिंता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मई महीने में प्रवासी राहत मित्र एप लांच किया. साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों की स्किल मैंपिंग की गयी.
कम्युनिटी किचन से भरा सबका पेट
योगी सरकार ने राज्य के हर व्यक्ति का पेट भरने के लिए कम्युनिटी किचन चालू करवाया. साथ ही संस्था या संगठन को भी कम्युनिटी किचन शुरू करने की अनुमति दी. सीएम योगी ने जिला आपूर्ति अधिकारी को आदेश दिया की अगर कोई राशन नहीं मिलने की शिकायत करता है तो तुरंत उसका राशनकार्ड बनाने के साथ राशन और 1000 रुपये की मदद उस तक पहुंचायी जाएं.
किसानों को राहत
कोरोना संकट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के अन्नदाता के लिए भी संकटमोचक बने हैं. योगी सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत देते हुए लॉकडाउन के दौरान भी खाद-बीज, कीटनाशकों की थोक और फुटकर दुकानें पहले की तरह खोलने के लिए कहा. इसी तरह खेती से जुड़े हर काम को छूट दिया गया. लॉकडाउन के हालात में भी उन्होंने किसानों से गेहूं खरीद का नायाब तरीका निकाला है और खेत तक पहुंच कर खरीदी की.
टीम-11 से रखी नजर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 के मामलों से निपटने के लिए हर जिले में 'टीम 11' की स्थापना करने का फैसला किया. इससे पहले उन्होंने राज्य स्तर पर टीम 11 (जो 11 समितियों का एक समूह है) की स्थापना की. इसमें शामिल शीर्ष अधिकारी कोरोना की स्थिति को लेकर रोजाना मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. जबकि जिला स्तर की टीम 11 भी रोजाना सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करती है. ये जिला स्तरीय समितियां घर-घर आवश्यक वस्तुओं के वितरण, गरीबों और बेघरों के लिए भोजन, लॉकडाउन के उल्लंघन की जांच और मीडिया को नवीनतम घटनाओं से अवगत कराने से संबंधी मुद्दों को देखती है.
टेस्टिंग पर जोर
सीएम योगी ने कहा कि संक्रमण को नियंत्रित करने में सर्विलांस, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग तथा मेडिकल टेस्टिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके तहत उन्होंने टेस्टिंग क्षमता में वृद्घि के लिए निरंतर प्रयास करने के निर्देश दिए हैं. फिलाहल राज्य में प्रतिदिन 1.5 लाख से अधिक कोविड-19 टेस्ट हो रहे है. यूपी में जब कोरोना का पहला पजिटिव केस आया, तब प्रदेश में एक भी कोरोना टेस्टिंग लैब नहीं थी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कोविड-19 की जांच के लिए कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के निर्देश दिए. साथ ही जिन क्षेत्रों में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या कम थी, वहां बेहतर इलाज के लिए रोगियों की पूलिंग भी शुरू की गयी. ट्रीनेट मशीनों की मदद से एक घंटे में कोरोना के परिणाम मिल रहे है. जबकि जुलाई में महामारी के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने के लिए 50 हजार एंटीजन परीक्षण किट भी खरीदी.
कोविड केयर के लिए प्रदेश के लेवल-1, लेवल-2 और लेवल-3 अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की हर हाल में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया. उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, मास्क, सैनिटाइजर और दस्ताने पर 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला किया. अप्रैल महिना खत्म होने तक राज्य में 30 परीक्षण प्रयोगशालाएं थी जो कि 8 अप्रैल तक दस कोरोना परीक्षण प्रयोगशालाएं थी. राज्य में तीन स्तरों (लेवल) में 1,01,236 कोविड अस्पताल है. इसमें से लेवल-1 के 403 अस्पताल हैं. इसके अलावा दूसरे स्तर के 75 अस्पताल हैं, जो ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस हैं और तीसरे स्तर के ऐसे 25 अस्पताल हैं, जिसमें वेंटिलेटर और डायलिसिस के लिए उपकरण आदि उपलब्ध हैं.
अर्थव्यवस्था के लिए अलग रणनीति
योगी सरकार ने करीब पांच महीने पहले ही लॉकडाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर की भरपाई के लिए राज्य, जिला स्तरीय बैंकर्स से बात कर रणनीति तैयार करनी शुरू की. और अब उसी रणनीति के हिसाब से कदम उठाया जा रहा है. ताकि आर्थिक तौर पर भी जल्द हालात सामान्य किया जा सके. मई महीने में मुख्यमंत्री योगी ने राज्य के 56 हजार 754 उद्यमियों को एकमुश्त दो हजार दो करोड़ के लोन बांटे. 15 अक्टूबर से राज्य में अनलॉक के पांचवें चरण की शुरुआत होगी. जिसमें आर्थिक गतिविधियों को लगभग पूरी तरह से खोला जायेगा. हालाँकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और बचाव के प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा.