UP: CM योगी ने कालीचरण पीजी कॉलेज में लालजी टण्डन की कांस्य प्रतिमा का किया अनावरण, शताब्दी विस्तार भवन का किया नामकरण

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि जीवन में महानता का मानक ऊपर से नीचे नहीं होता है. व्यक्ति जब अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से शून्य से शिखर की यात्रा तय करता है, तो यही उसकी महानता का मानक बनता है.

UP: CM योगी ने कालीचरण पीजी कॉलेज में लालजी टण्डन की कांस्य प्रतिमा का किया अनावरण, शताब्दी विस्तार भवन का किया नामकरण
सीएम योगी आदित्यनाथ (File Photo)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) जी ने कहा है कि जीवन में महानता का मानक ऊपर से नीचे नहीं होता है. व्यक्ति जब अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से शून्य से शिखर की यात्रा तय करता है, तो यही उसकी महानता का मानक बनता है. विधायक, मंत्री तथा लखनऊ के लोकप्रिय सांसद के रूप में श्रद्धेय लालजी ठण्डन जी ने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के विकास के प्रतिमान को आगे बढ़ाते हुए शून्य से शिखर की अपनी यात्रा तय की है. लखनऊ के सभी लोगों के साथ टण्डन जी की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. Job In UP: सीएम योगी का दावा, अगले 3 साल में एक करोड़ युवाओं मिलेगा रोजगार.

मुख्यमंत्री जी आज यहां कालीचरण पी0जी0 कॉलेज में श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करने के उपरान्त इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन के नाम पर कालीचरण महाविद्यालय के शताब्दी विस्तार भवन का नामकरण 'लालजी टण्डन भवन' किया.

मुख्यमंत्री जी ने प्रतिमा का निर्माण करने वाले जयपुर के कलाकार श्री राजेश भण्डारी को सम्मानित भी किया. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ नगर महापालिका के पार्षद तथा एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में श्रद्धेय श्री लालजी टण्डन ने अपनी यात्रा प्रारम्भ की. वे एक सामान्य कार्यकर्ता से लेकर शिखर तक पहुंचे, लेकिन अहंकार उन्हें छू नहीं पाया. उनमें जीवनपर्यन्त सादगी तथा आत्मीयता झलकती हुई दिखायी दी. यही कारण है कि उनके प्रशंसकों तथा शुभचिन्तकों के मन में श्री टण्डन की स्मृतियों के प्रति सदैव आत्मीय भाव बना रहता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जिस समय जो भी कार्य श्रद्धेय टण्डन जी को दिया गया, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अयोध्या मामलों के प्रभारी मंत्री के रूप में श्री टण्डन का कार्य नये अनुभव का सृजन करता है. श्री ठण्डन के कार्यकाल में अलग-अलग समय में प्रयागराज में कुम्म का आयोजन हुआ था. कुम्भ की व्यवस्था को अच्छा बनाये रखने के लिए उस समय उनके द्वारा अनेक कार्य आगे बढ़ाये गये थे. वर्ष 2049 में श्री सुरेश कुमार खन्‍ना जी के नेतृत्व में हमारी टीम को प्रयागराज कुम्भ के आयोजन का अवसर प्राप्त हुआ था. इसमें श्री टण्डन का उस समय का वह अनुभव हमारे उपयोग में आया.

प्रयागराज कुम्भ-2049 नयी आभा के साथ देश और दुनिया में दिव्य और भव्य कुम्भ के रूप में आयोजित हुआ था. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज हम यहां श्रद्धेय लालजी टण्डन की पावन जयन्ती के अवसर पर एकत्र होकर उनका स्मरण कर रहे हैं. टण्डन जी की स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने के लिए लालजी टण्डन फाउण्डेशन ने अनेक सामाजिक कार्यक्रम आगे बढ़ाये हैं.

इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज यह आयोजन सम्पन्न हुआ है. श्री आशुतोष टण्डन ने फाउण्डेशन के अध्यक्ष तथा एक योग्य पुत्र के रूप में अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया है. पिता की स्मृतियां बनी रहे, एक पुत्र अपने पिता के लिए इससे अच्छा और क्‍या कर सकता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्यपाल के रूप में पटना तथा भोपाल में भी श्री टण्डन जी की लखनऊ के प्रति आत्मीयता देखते ही बनती थी. राज्य सरकार ने हजरतगंज में नगर विकास की परिकल्पना को साकार करते हुए श्रद्धेय लालजी टण्डन की भव्य प्रतिमा स्थापित की है. आज यहां टण्डन जी की प्रतिमा का स्थापित होना और नये भवन का नामकरण स्व0 ठण्डन जी के नाम पर होना, यह अन्य लोगों के लिए एक मानक है. यह टण्डन जी के योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक तरीका है. यही हम भारतीयों की पहचान है कि हम किसी के उपकार के लिए उसे मूर्तरूप प्रदान करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं. मूर्ति का निर्माण एवं भवन का नामकरण उसी मूर्तता का प्रमाण है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कालीचरण महाविद्यालय का 48 वर्षों का इतिहास है. इसके साथ टण्डन जी का लम्बा जुड़ाव रहा है. यह संस्थान आजादी के आन्दोलन का साक्षी रहा है. वर्ष 4905 में अंग्रेजों की कुटिलता के कारण बंग-भंग के माध्यम से देश के विभाजन की नींव रखी गयी थी. उस समय देश में तिलक जी के नेतृत्व में आन्दोलन चला था.

तिलक जी ने बाद में वर्ष 4946 में यहीं लखनऊ से देश का आह्वान करते हुए 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा दिया था. इससे पूर्व ही वर्ष 4905 में बंग-भंग के खिलाफ देश के विभाजन को रोकने के लिए आन्दोलन चल रहा था, दूसरी ओर एक प्राइमरी स्कूल के रूप में कालीचरण महाविद्यालय और इण्टर कॉलेज की नींव वर्ष 4905 में ही रखी गयी. इसके पश्चात जूनियर हाईस्कूल, इण्टर कॉलेज तथा महाविद्यालय के रूप में आज यह विख्यात है. यहां 5,500 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने आजादी के आन्दोलन में अपना योगदान दिया. लखनऊ का “काकोरी ट्रेन ऐक्शन' कोई नहीं भूल सकता. पं0 राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उलला खां और ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी तथा अनगिनत क्रान्तिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपने को बलिदान कर दिया. इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कालीचरण महाविद्यालय जैसी संस्थानों का बड़ा योगदान रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कालीचरण महाविद्यालय अनेक साहित्यकारों, वैज्ञानिकों, समाजसेवियों और राजनीतिज्ञों को जन्म देने वाला शिक्षण संस्थान है. लगभग 03 दशक तक श्रद्धेय लालजी टण्डन जी के सान्निध्य में इस संस्थान ने नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया. यहां से अनेक प्रसिद्ध साहित्यकार और वैज्ञानिक निकले हैं. स्व0 श्याम सुन्दर दास जी अपने समय के हिन्दी गद्य के प्रख्यात साहित्यकार थे. उन्होंने इस संस्थान के पहले प्राचार्य के रूप में काम किया था.

पं० मदन मोहन 3 मालवीय जी, श्याम सुन्दर दास जी को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष के रूप में लेकर गये थे. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पुराने शिक्षण संस्थानों के जर्जर भवन चिन्ता का विषय है. शिक्षण संस्थानों के जर्जर होने का तात्पर्य है कि हम अपने वर्तमान और भावी पीढ़ी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. संस्थान के प्रति प्रबन्धन का आत्मीयता का भाव हो तो कोई भी संस्थान जर्जर स्थिति में नहीं होगा. प्रदेश सरकार ने इस सम्बन्ध में एक पॉलिसी बनायी है, जिसके अन्तर्गत यदि प्रबन्धन 25 से 40 प्रतिशत धनराशि जुटाएं तो शेष धनराशि ऐसे संस्थानों को निश्चित मात्रा में सरकार अनुदान देगी. इन भवनों ने अनगिनत महापुरुषों को जन्म दिया है.

राज्य सरकार ने तय किया है कि 50 वर्ष पुराने सरकारी अथवा सरकार द्वारा अनुदानित शैक्षणिक भवनों के लिए सरकार सहयोग करेगी. इस दिशा में कालीचरण महाविद्यालय, इण्टर कॉलेज तथा यह कैम्पस सौभाग्यशाली है कि इसके सभी भवन नवनिर्माण को प्राप्त कर चुके हैं. यदि और भी सहयोग की आवश्यकता होगी तो राज्य सरकार की नीति के अन्तर्गत इसमें सहयोग किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षा समाज में परिवर्तन का माध्यम है. शिक्षा के क्षेत्र में जितना योगदान होगा, उतना ही परिवर्तन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दिखायी देगा. आज उत्तर प्रदेश की बेसिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. आज प्रदेश में जो परिवर्तन आया है, शिक्षा इसका मूल है. शिक्षा के क्षेत्र में किया गया योगदान स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने के साथ ही अमरत्व प्रदान करने का एक माध्यम है.

मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त किया कि कालीचरण महाविद्यालय का प्रबन्धन श्री लालजी टण्डन के आदर्शों को अंगीकार करते हुए संस्थान के विकास के लिए तन्मयता के साथ काम करेगा. कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष श्री सतीश महाना, केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्‍ना, पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, लालजी टण्डन फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं विधायक श्री आशुतोष टण्डन सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक तथा विद्यार्थी उपस्थित थे.


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