Unnao Rape Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के भाई की 10 साल की सजा रखी बरकरार
Delhi-High-Court Photo Credits: ANI

नई दिल्ली, 26 जनवरी : दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई जयदीप सिंह सेंगर की 10 साल की सजा को निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी है. जयदीप को 2018 उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की मौत में शामिल होने के लिए मार्च 2020 में दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की अगुवाई वाली अदालत ने जयदीप की अपील के लंबित रहने के दौरान उसकी सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी.

यह निर्णय उनकी चिकित्सीय स्थिति, अपराध की गंभीरता और न्यायपालिका में जनता के विश्वास जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए किया गया. हिरासत में रहते हुए, जयदीप ने मौखिक कैंसर का निदान होने का दावा किया और नवंबर 2020 में अंतरिम जमानत प्राप्त की, जिसे पिछले साल 18 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था. अदालत ने उनके नाजुक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जून में उनकी सजा को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया था. जिन पांच सह-अभियुक्तों की सजा निलंबित कर दी गई थी, उनके साथ समानता के तर्क के बावजूद, अदालत को जयदीप की याचिका में कोई मेरि‍ट नहीं मिली. यह भी पढ़ें : Jadeja Sword Celebration: इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में अर्धशतक बनाने के बाद रवींद्र जडेजा ने की तलवारबाजी, देख स्टेडियम में फैंस हुए रोमांचित, देखें वीडियो

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी दस साल की सजा का केवल 30 प्रतिशत ही काटा है. अदालत ने एम्स की मेडिकल रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि जयदीप की स्वास्थ्य स्थिति के कारण जेल में सजा काटने से राहत की जरूरत नहीं है. अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों ने स्पष्ट किया कि उन्हें मामले की योग्यता पर एक राय के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ जयदीप की अपील पर अब 5 मई को सुनवाई निर्धारित की है.

ट्रायल कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2019 को कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराया था और उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को मामले से संबंधित सभी पांच मामलों को उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित करने के निर्देश के बाद 5 अगस्त, 2019 को मुकदमा शुरू हुआ. शीर्ष अदालत ने दैनिक आधार पर सुनवाई करने और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था.